 
            रांची (ऋषभ राजा ) भारत वर्ष 2027 तक मलेरिया को पूरी तरह से खत्म करने के लक्ष्य पर काम कर रहा है. राज्य सरकारों के साथ मिलकर केंद्र सरकार ने कई योजनाएं बनायीं हैं. उस पर अमल भी किया जा रहा है. फलस्वरूप मलेरिया उन्मूलन की दिशा में भारत को बड़ी सफलता मिली है. बावजूद इसके, वर्ष 2022 में देश के 18 ऐसे जिले हैं, जहां एपीआई (Annual Parasite Index – API) 2 या उससे अधिक थी. वर्ष 2015 में इन जिलों की संख्या 110 थी. बहरहाल, मलेरिया के लिहाज से देश के सबसे संवेदनशील 18 जिलों में झारखंड के भी 3 जिले शामिल हैं.
1947 में 8 लाख लोगों की हो जाती थी मलेरिया से मौत
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में सामुदायिक स्वास्थ्य अनुसंधान, सोसाइटी फॉर एजुकेशन, एक्शन एंड रिसर्च इन कम्युनिटी हेल्थ की उपनिदेशक और गढ़चिरौली में मलेरिया उन्मूलन के लिए कार्यबल की सदस्य सुप्रियालक्ष्मी तोटीगर के अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है. सुप्रियालक्ष्मी तोटीगर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 1947 में भारत में लगभग 7.5 करोड़ मलेरिया के मामले सामने आते थे. 8 लाख लोगों की मलेरिया से मौत हो जाती थी. वर्ष 2023 तक इस आंकड़े में बड़ी गिरावट आयी है. इस वर्ष 2,27,564 लोग मलेरिया से पीड़ित हुए और मात्र 83 लोगों की इससे मौत हुई.
मच्छरों के प्रजनन के लिए पर्याप्त है 2 मिली ठहरा हुआ पानी
सुप्रियालक्ष्मी के मुताबिक, शहरी और वन क्षेत्रों के लिए मलेरिया नियंत्रण की रणनीति अलग-अलग होती है. वन क्षेत्रों में भारी मानसूनी वर्षा के कारण लंबे समय तक पानी ठहर जाता है, जिससे मच्छरों के पनपने के लिए आदर्श स्थितियां बनती है. आदिवासी समुदाय जीवनयापन के लिए जंगलों पर निर्भर हैं. इसलिए मलेरिया के मच्छर की चपेट में आने का जोखिम अधिक होता है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि केवल 2 मिलीलीटर ठहरा हुआ पानी भी मच्छरों के प्रजनन के लिए पर्याप्त है.
एयर कंडीशनर और कूलर में जमे पानी भी बढ़ाते हैं समस्या
सुप्रियालक्ष्मी तोटीगर आगे कहतीं हैं कि शहरी क्षेत्रों में खराब जल निकासी प्रणाली और एयर कंडीशनर या कूलर में जमा पानी मलेरिया की समस्या को बढ़ाते हैं. इसलिए शहरी क्षेत्रों में मलेरिया नियंत्रण के लिए अलग रणनीति पर काम करने की आवश्यकता होती है. सुप्रियालक्ष्मी कहतीं हैं कि किसी क्षेत्र को मलेरिया से मुक्त तब माना जाता है, जब वहां स्थानीय स्तर पर कोई नया मामला दर्ज नहीं होता.
मलेरिया को खत्म करने के लिए समेकित रणनीति
तोटीगर के मुताबिक, इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक समेकित रणनीति लागू की जा रही है, जिसमें शीघ्र जांच व उपचार, मच्छरों से मानव संपर्क रोकना, शारीरिक अवरोध बनाना और मच्छरों के प्रजनन को रोकना शामिल है. इस रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मलेरिया फैलाने वाले प्लाज्मोडियम परजीवी का उन्मूलन है. उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर, सतत विकास लक्ष्य (SDGs) के अंतर्गत मलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य वर्ष 2030 है. भारत ने इससे भी अधिक महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय करते हुए 2027 के अंत तक मलेरिया उन्मूलन का संकल्प लिया है.
मलेरिया के मामले में झारखंड की स्थिति में हुआ है सुधार
स्वास्थ्य मंत्रालय के नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बोर्न डिजीजेज कंट्रोल की ओर से मलेरिया उन्मूलन के लिए विशेष रूप से तैयार ‘नेशनल स्ट्रैटेजिक प्लान : मलेरिया एलीमिनेशन 2023-2027’ पर गौर करेंगे, तो झारखंड की स्थिति में काफी सुधार हुआ है. यह वर्ष 2015 तक कैटेगरी-3 में था और वर्ष 2022 में यह कैटेगरी-2 में आ गया. इसका मतलब यह हुआ कि वर्ष 2015 तक झारखंड के जिलों में एपीआई 1 से अधिक था और अब यहां एपीआई 1 से कम है. बावजूद चिंता की बात यह है कि झारखंड के 3 ऐसे जिले हैं, जहां एपीआई अब भी 3 से अधिक हैं.
झारखंड में सबसे चिंताजनक स्थिति पश्चिमी सिंहभूम की
सबसे चिंताजनक स्थिति पश्चिमी सिंहभूम जिले की है. यहां का एपीआई 8.8 है, जो झारखंड में सबसे ज्यादा है. इसके अलावा संताल परगना के गोड्डा और पाकुड़ जिले में भी एपीआई बहुत ज्यादा है. इन दोनों जिलों का एपीआई 3.5-3.5 है. हालांकि, अच्छी बात यह है कि देश के कई राज्यों के जिले अभी भी ऐसे हैं, जो झारखंड से कई गुणा ज्यादा खतरनाक स्थिति में हैं. वहां एपीआई 56 से भी ज्यादा हैं. मिजोरम का लावंगतलाई ऐसा ही एक जिला है, जिसका एपीआई 56.2 पाया गया है. मिजोरम के लुंगलेई में 28, मामिट में 33.2, साइहा में 24.4 हैं. झारखंड के पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ के बीजापुर में यह 30.8, दंतेवाड़ा में 25.7 और नारायणपुर में 13.4 है.
 
                             
                             
                             
                             
                             
                             
                             
                             
                   
                   
                   
                   
                   
                   
                   
                   
                   
                   
                 
                                    
                                 
                                    
                                 
                                    
                                 
                                    
                                 
                                    
                                