
79 वें स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर झारखंड वासियों को हार्दिक शुभकामनाएं
निवेदक - श्रीमति दीपिका पांडे सिंह, ग्रामीण विकास, ग्रामीण कार्य एवं पंचायती राज विभाग मंत्री,झारखंड सरकार

नई दिल्ली। एनडीए के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन देश के नए उपराष्ट्रपति चुने गए हैं, उन्होंने बी सुदर्शन रेड्डी को 152 वोटों के अंतर से हराया। राधाकृष्णन को 452 वोट मिले, जबकि रेड्डी को 300 वोट हासिल हुए। वह वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं और तमिलनाडु से ताल्लुक रखते हैं। यह जीत भाजपा और एनडीए के लिए बड़ी राजनीतिक सफलता मानी जा रही है।
उपराष्ट्रपति चुनाव के परिणाम:
सीपी राधाकृष्णन: 452 वोट
बी सुदर्शन रेड्डी : 300 वोट
मतदान प्रतिशत : 98.2% (कुल 767 सांसदों में से 752 वोट वैध थे)
-वोटों का अंतर: 152 वोट
सीपी राधाकृष्णन की जीत को दक्षिण भारत की राजनीतिक पहचान और प्रभाव को दर्शाता माना जा रहा है। वह तमिलनाडु की राजनीति में एक सम्मानित नाम हैं और उनके पास चार दशक से अधिक का अनुभव है। वह पहले भी कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं, जिनमें राज्यसभा सदस्य और विभिन्न समितियों के अध्यक्ष शामिल हैं ।

ब्यूरो। एसआईआर को लेकर सुप्रीम कोर्ट से बड़ा फैसला आया है । जिसमें कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि चुनाव आयोग का दृष्टिकोण मतदाताओं के हितों के विपरीत है और यह पूरी तरह से बेनकाब हो गया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि कोर्ट ने चुनाव आयोग को हटाए गए मतदाताओं के नामों के साथ कारण प्रकाशित करने का निर्देश दिया था। इसके अलावा, कोर्ट ने आधार कार्ड को पहचान प्रमाण के रूप में स्वीकार करने का भी निर्देश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश:
- मतदाताओं की सूची प्रकाशित करना: चुनाव आयोग को हटाए गए मतदाताओं की सूची प्रकाशित करनी होगी, जिसमें कारणों का उल्लेख हो।
- आधार कार्ड को पहचान प्रमाण के रूप में स्वीकार करना: चुनाव आयोग को आधार कार्ड को वैध पहचान पत्र के रूप में मान्यता देनी होगी।
- राजनीतिक दलों को शामिल करना: सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रक्रिया में राजनीतिक दलों को शामिल करके संशोधन को बेहतर बनाने के लिए सुरक्षा-व्यवस्था स्थापित की है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि इस निर्णय से कांग्रेस को एक ऐसा अधिकार मिलता है, जिसकी अनदेखी चुनाव आयोग नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा, "आज चुनाव आयोग पूरी तरह से बेनकाब और बदनाम हो चुका है।

79 वा स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर सभी रांची वासियों को हार्दिक शुभकामनाएं - बबलू मुंडा, अध्यक्ष केंद्रीय सरना समिति

रांची। पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिशोम गुरु शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन होने के साथ झारखंड में एक युग का अवसान हो गया। रामगढ़ जिला के गोला प्रखंड स्थित पैतृक गांव नेमरा में पूरे राजकीय सम्मान के साथ दिवंगत शिबू सोरेन का अंतिम संस्कार संपन्न हुआ। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने पिता के पार्थिव शरीर को पारंपरिक रीति- रिवाज तथा रस्म के साथ मुखाग्नि दी। इस दौरान हर किसी की आंखें नम थी। इससे पहले रांची के मोरहाबादी स्थित आवास से दिवंगत शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव नेमरा में अंतिम दर्शनार्थ रखा गया। यहां हजारों -हज़ार की संख्या में लोगों ने भावुक और नम आंखों से "गुरुजी" को नमन कर अंतिम विदाई दी।
अंतिम जोहार " के लिए उमड़ा जन सैलाब
क्या आम और क्या खास, दिवंगत शिबू सोरेन के अंतिम जोहार के लिए नेमरा गांव में जन सैलाब उमड़ पड़ा था। उनके अंतिम दर्शन के लिए राज्य के अलग-अलग कोनों से लोग पधारे थे। इनमें अति विशिष्ट व्यक्ति से लेकर आम जन तक, हर कोई शामिल था। हर किसी ने झारखंड राज्य के प्रणेता, पथ प्रदर्शक औऱ मार्गदर्शक दिशोम गुरु जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान हर किसी का दिल उदास, व्यथित और आंखें नम थी।
रो पड़ा पूरा नेमरा
यूँ तो दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन की जानकारी मिलने के बाद से ही उनके पैतृक गांव नेमरा में उदासी और सन्नाटा पसर चुका था। हर कोई गमगीन था। घरों में चूल्हे तक नहीं जले थे। वहीं, बुधवार को जैसे ही दिशोम गुरु का पार्थिव शरीर पैतृक आवास पहुंचा, पूरा नेमरा रो उठा। परिजन एवं सगे- संबंधी समेत राज्य के दूर दराज से आए लोगों की आंखों से आंसू छलक रहे थे। सभी ने दिशोम गुरु को नमन कर अन्तिम विदाई दी।

दिल्ली /रांची। राष्ट्रपति, भारत ,श्रीमती द्रौपदी मुर्मु एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को सर गंगाराम अस्पताल, नई दिल्ली पहुंचकर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद दिशोम गुरु दिवंगत शिबू सोरेन के पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री ने दुःख की इस घड़ी में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन , विधायक कल्पना सोरेन और अन्य परिजनों से मिलकर संवेदना व्यक्त की। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति और शोकाकुल परिजनों को इस कठिन घड़ी में संबल प्रदान करने की कामना ईश्वर से की।

रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा सुप्रीमो सह दिशोम गुरु शिबू सोरेन का दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार सुबह यह जानकारी अपने एक्स पर पोस्ट लिख कर दी। मालूम हो कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन का इलाज दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में कई दिनों से चल रहा था उनके स्वास्थ्य के लाभ को लेकर झारखंड में उनके चाहने वाले लगातार प्रार्थना कर रहे थे, लेकिन आखिरकार डॉक्टर के लाख प्रयास के बावजूद उनके स्वास्थ्य ठीक नहीं हो पाई और सोमवार सुबह निधन होने की जानकारी मिली । वहीं उनके निधन के बाद पूरे झारखंड राज्य में शोक की लहर है सभी राजनीतिक दल के तमाम नेता से लेकर सामाजिक कार्यकर्ता उनके कार्यों को याद कर नमन कर रहे हैं और अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।
दिशोम गुरु शिबू सोरेन शून्य से शिखर तक
झारखंड राज्य के लिए अपनी संघर्ष की बदौलत राजनीति के पांच दशक अग्रणी भूमिका में निभाई, राज्य की अलग लड़ाई के साथ शोषित वंचित समाज के लिए हमेशा आगे खड़ा रहा और तीन बार झारखंड मुख्यमंत्री रहे । वहीं उनके निधन के बाद राज्य के मुख्यमंत्री सोरेन सह पुत्र हेमंत सोरेन कहा कि आज मैं शून्य हो गया।

रांची (ऋषभ राजा) : ओडिशा के बालासोर में बीएड की एक छात्रा की आत्महत्या के मामले पर झारखंड में राजनीति गरमा गयी है. झामुमो और भाजपा के बीच वार-पलटवार शुरू हो गया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने प्रेस वार्ता करके बीजेपी को ‘बेटी जलाओ पार्टी’ के नाम से संबोधित करने का ऐलान किया, तो इस पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी. भाजपा ने इसे ‘गिद्ध राजनीति’ का जघन्य उदाहरण करार दिया. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने कहा कि झामुमो अब अपनी नैतिकता और संवेदनशीलता दोनों खो चुका है. चुनिंदा घटनाओं पर शर्मनाक ढंग से सियासी रोटियां सेंकने में जुट गया है.
घिनौनी सेलेक्टिव पॉलिटिक्स’ पर उतरा झामुमो – अजय साह
अजय साह ने दो टूक कहा कि झामुमो अब ‘घिनौनी सेलेक्टिव पॉलिटिक्स’ पर उतर चुका है, जहां पार्टी की आंखें और ज़ुबान तब बंद रहती है, जब अपराधी उनके गठबंधन से होते हैं, लेकिन जैसे ही भाजपा शासित राज्य में कोई दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटती है, वे गिद्ध की तरह मौके पर राजनीति करने आ धमकते हैं.
बंगाल की घटनाओं पर कुछ नहीं बोला झामुमो – अजय साह
भाजपा प्रवक्ता ने याद दिलाया कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में जब छात्रा से दुष्कर्म के बाद आंदोलित थे, तब झामुमो की पूरी लीडरशिप चुप थी. कोलकाता लॉ कॉलेज में इंडी गठबंधन के छात्र नेता पर गैंगरेप के गंभीर आरोप लगे, तब भी झामुमो ने एक शब्द नहीं बोला. भाजपा नेता ने पूछा, ‘क्या झामुमो के लिए अपराध की गंभीरता अपराधी की पार्टी से तय होती है
भाजपा प्रवक्ता बोले- झारखंड को बर्बाद कर चुका है झामुमो
भाजपा प्रवक्ता ने झामुमो की राजनीतिक प्राथमिकताओं पर करारा वार करते हुए कहा कि जो पार्टी झारखंड को बर्बाद कर चुकी है, अब उन राज्यों की घटनाओं पर सियासत कर रही है, जहां उसकी कोई जवाबदेही नहीं है. उन्होंने कहा कि पलामू के शेल्टर होम में नाबालिग लड़की ने खुलेआम आरोप लगाया कि एक अधिकारी उस पर ‘खुश करने’ का दबाव बना रहा था, लेकिन पूरा सरकारी सिस्टम उस अधिकारी को बचाने में जुट गया.
लातेहार के स्कूल में यौन शोषण मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई’
लातेहार स्कूल में हुई यौन शोषण की घटना पर भी भाजपा ने सरकार पर जमकर हमला बोला. अजय साह ने कहा कि 3 दिन बीतने के बाद भी अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार में महिलाओं और बच्चों को सुरक्षा देने वाली पूरी व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है. राज्य महिला आयोग का गठन तक नहीं हुआ. सीडब्ल्यूसी जैसी संस्थाएं कागजों पर हैं और महिला थाने सिर्फ नेमप्लेट की शोभा.
ओडिशा की घटना के आरोपियों पर होगी कड़ी कार्रवाई – अजय
अजय साह ने साफ किया कि भाजपा की सरकार ओडिशा की घटना को लेकर किसी भी आरोपी को नहीं बख्शेगी. सबसे सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जायेगी. उन्होंने झामुमो को आईना दिखाते हुए कहा कि पहले उस राज्य की जिम्मेदारी निभाएं, जहां की जनता ने उन्हें वोट देकर सत्ता सौंपी है. फिर दूसरों को नसीहत दें.
बीजेपी को अब ‘बेटी जलाओ पार्टी’ कहकर संबोधित करेंगे
इससे पहले झामुमो केंद्रीय कमेटी के महासचिव और पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि वर्ष 2014 के बाद से देश के जिस किसी राज्य में बीजेपी की सरकार बनी है, वहां महिलाओं और बेटियों की सुरक्षा खतरे में पड़ गयी है. वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘बेटी बचाओ, बेढ़ी पढ़ाओ’ का नारा दिया था. अब यह पार्टी बेटी जलाओ पार्टी बन गयी है. इस पार्टी को अब हमलोग इसी नाम से संबोधित करेंगे.
सुप्रियो ने महिला के खिलाफ अपराध वाले राज्यों के नाम गिनाये
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि यह मामला सिर्फ ओडिशा के बालासोर का नहीं है. उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात और मणिपुर सब जगह ऐसी घटनाएं हो रहीं हैं. हाथरस, कठुआ, मुज्फ्फरपुर और सीकर की घटनाओं को लोग अभी तक नहीं भूले हैं. पहलवान बेटियों से दुर्व्यवहार करने वाले के बेटे को बीजेपी चुनाव का टिकट देती है.

साहेबगंज। ट्रक से डीजल चोरी की घटना तो आपने कई बार सुना होगा जहां. चोर रात के अंधेरे में डीजल चोरी कर लेते है, लेकिन रेल इंजन से डीजल चोरी हो जाए यह घटना सोचने को मजबूर कर देती है ? चोर ऐसा भी कर सकता है? लेकिन ऐसा घटना के मामले सामने आए, जो रेल विभाग के साथ आम आदमी को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है?
क्या है पूरा मामला
रविवार को जानकारी मिली कि हावड़ा रेल मंडल के अंतर्गत आने वाले सीमावर्ती गुमानी रेलवे स्टेशन पर गुरुवार रात एक चौंकाने वाली घटना घटी, जिसने भारतीय रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया है। रात लगभग 11 बजे, अज्ञात चोरों ने स्टेशन के प्लेटफॉर्म संख्या-4 पर खड़ी एक मालगाड़ी के रेल इंजन से करीब 2000 लीटर डीज़ल चोरी कर लिया।इस घटना का खुलासा तब हुआ जब मालगाड़ी पाकुड़ स्टेशन पहुंची और लोको पायलट ने डीज़ल टैंक में भारी कमी की जानकारी अधिकारियों को दी। घटना की सूचना मिलते ही रेलवे विभाग में हड़कंप मच गया।तुरंत हरकत में आया रेलवे प्रशासन शुक्रवार की सुबह पाकुड़ आरपीएफ पोस्ट के इंस्पेक्टर संजय कुमार सिंह अपनी टीम के साथ गुमानी स्टेशन पहुंचे और घटना स्थल की बारीकी से छानबीन शुरू की। मामले की गंभीरता को देखते हुए रेलवे की स्पेशल ब्रांच, क्राइम इंटेलिजेंस ब्यूरो और डॉग स्क्वायड टीम को भी जांच में शामिल किया गया है।उसी शाम हावड़ा रेल मंडल के वरिष्ठ सुरक्षा आयुक्त चोक्का रघुबीर ने भी घटनास्थल का दौरा किया और अधिकारियों को मामले की शीघ्र जांच पूरी कर दोषियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।रेलवे सूत्रों के अनुसार, पाकुड़ आरपीएफ पोस्ट में कांड संख्या 05/2025 के तहत अज्ञात अपराधियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई है।लोको पायलट मौजूद, फिर भी चोरी कैसे?इस मामले का सबसे हैरान करने वाला पहलू यह है कि घटना के वक्त मालगाड़ी के दोनों लोको पायलट इंजन में ही मौजूद थे, इसके बावजूद इतनी भारी मात्रा में डीज़ल की चोरी हो जाना कई गंभीर सवाल खड़े करता है।क्या यह किसी भीतरखाने मिलीभगत का मामला है, या फिर रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था में बड़ी चूक?—इन सवालों के जवाब ढूंढना जांच एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है।स्थानीय नागरिकों के अनुसार, गुमानी एक उपेक्षित स्टेशन है, जहां ना तो स्थायी आरपीएफ की तैनाती है और ना ही कोई प्रभावी सुरक्षा व्यवस्था। बीते कुछ वर्षों से यहां चोरी और अन्य असामाजिक गतिविधियों में वृद्धि देखी गई है, लेकिन रेलवे प्रशासन की ओर से कोई ठोस पहल नहीं की गई।इस घटना ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था को सीमावर्ती स्टेशनों पर विशेष प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।
अब तक खाली हाथ रेलवे प्रशासन
घटना को 48 घंटे बीत चुके हैं, लेकिन रेल प्रशासन अभी तक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सका है। सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं, स्थानीय लोगों से पूछताछ की जा रही है, लेकिन अब तक कोई अपराधी गिरफ्त में नहीं आया है।वहीं स्थानीय स्तर पर रेलवे कर्मियों की मिलीभगत की भी आशंका जताई जा रही है। सूत्रों की मानें तो बिना किसी आंतरिक सहयोग के इस तरह की घटना को अंजाम देना असंभव है।
फिलहाल, रेलवे प्रशासन जांच के अंतिम निष्कर्ष का इंतजार कर रहा है। इस घटना का जल्द उद्भेदन न केवल दोषियों को सजा दिलाने के लिए जरूरी है, बल्कि रेलवे की साख बचाने के लिए भी।

रांची (ऋषभ राजा ) भारत वर्ष 2027 तक मलेरिया को पूरी तरह से खत्म करने के लक्ष्य पर काम कर रहा है. राज्य सरकारों के साथ मिलकर केंद्र सरकार ने कई योजनाएं बनायीं हैं. उस पर अमल भी किया जा रहा है. फलस्वरूप मलेरिया उन्मूलन की दिशा में भारत को बड़ी सफलता मिली है. बावजूद इसके, वर्ष 2022 में देश के 18 ऐसे जिले हैं, जहां एपीआई (Annual Parasite Index – API) 2 या उससे अधिक थी. वर्ष 2015 में इन जिलों की संख्या 110 थी. बहरहाल, मलेरिया के लिहाज से देश के सबसे संवेदनशील 18 जिलों में झारखंड के भी 3 जिले शामिल हैं.
1947 में 8 लाख लोगों की हो जाती थी मलेरिया से मौत
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में सामुदायिक स्वास्थ्य अनुसंधान, सोसाइटी फॉर एजुकेशन, एक्शन एंड रिसर्च इन कम्युनिटी हेल्थ की उपनिदेशक और गढ़चिरौली में मलेरिया उन्मूलन के लिए कार्यबल की सदस्य सुप्रियालक्ष्मी तोटीगर के अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है. सुप्रियालक्ष्मी तोटीगर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 1947 में भारत में लगभग 7.5 करोड़ मलेरिया के मामले सामने आते थे. 8 लाख लोगों की मलेरिया से मौत हो जाती थी. वर्ष 2023 तक इस आंकड़े में बड़ी गिरावट आयी है. इस वर्ष 2,27,564 लोग मलेरिया से पीड़ित हुए और मात्र 83 लोगों की इससे मौत हुई.
मच्छरों के प्रजनन के लिए पर्याप्त है 2 मिली ठहरा हुआ पानी
सुप्रियालक्ष्मी के मुताबिक, शहरी और वन क्षेत्रों के लिए मलेरिया नियंत्रण की रणनीति अलग-अलग होती है. वन क्षेत्रों में भारी मानसूनी वर्षा के कारण लंबे समय तक पानी ठहर जाता है, जिससे मच्छरों के पनपने के लिए आदर्श स्थितियां बनती है. आदिवासी समुदाय जीवनयापन के लिए जंगलों पर निर्भर हैं. इसलिए मलेरिया के मच्छर की चपेट में आने का जोखिम अधिक होता है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि केवल 2 मिलीलीटर ठहरा हुआ पानी भी मच्छरों के प्रजनन के लिए पर्याप्त है.
एयर कंडीशनर और कूलर में जमे पानी भी बढ़ाते हैं समस्या
सुप्रियालक्ष्मी तोटीगर आगे कहतीं हैं कि शहरी क्षेत्रों में खराब जल निकासी प्रणाली और एयर कंडीशनर या कूलर में जमा पानी मलेरिया की समस्या को बढ़ाते हैं. इसलिए शहरी क्षेत्रों में मलेरिया नियंत्रण के लिए अलग रणनीति पर काम करने की आवश्यकता होती है. सुप्रियालक्ष्मी कहतीं हैं कि किसी क्षेत्र को मलेरिया से मुक्त तब माना जाता है, जब वहां स्थानीय स्तर पर कोई नया मामला दर्ज नहीं होता.
मलेरिया को खत्म करने के लिए समेकित रणनीति
तोटीगर के मुताबिक, इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक समेकित रणनीति लागू की जा रही है, जिसमें शीघ्र जांच व उपचार, मच्छरों से मानव संपर्क रोकना, शारीरिक अवरोध बनाना और मच्छरों के प्रजनन को रोकना शामिल है. इस रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मलेरिया फैलाने वाले प्लाज्मोडियम परजीवी का उन्मूलन है. उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर, सतत विकास लक्ष्य (SDGs) के अंतर्गत मलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य वर्ष 2030 है. भारत ने इससे भी अधिक महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय करते हुए 2027 के अंत तक मलेरिया उन्मूलन का संकल्प लिया है.
मलेरिया के मामले में झारखंड की स्थिति में हुआ है सुधार
स्वास्थ्य मंत्रालय के नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बोर्न डिजीजेज कंट्रोल की ओर से मलेरिया उन्मूलन के लिए विशेष रूप से तैयार ‘नेशनल स्ट्रैटेजिक प्लान : मलेरिया एलीमिनेशन 2023-2027’ पर गौर करेंगे, तो झारखंड की स्थिति में काफी सुधार हुआ है. यह वर्ष 2015 तक कैटेगरी-3 में था और वर्ष 2022 में यह कैटेगरी-2 में आ गया. इसका मतलब यह हुआ कि वर्ष 2015 तक झारखंड के जिलों में एपीआई 1 से अधिक था और अब यहां एपीआई 1 से कम है. बावजूद चिंता की बात यह है कि झारखंड के 3 ऐसे जिले हैं, जहां एपीआई अब भी 3 से अधिक हैं.
झारखंड में सबसे चिंताजनक स्थिति पश्चिमी सिंहभूम की
सबसे चिंताजनक स्थिति पश्चिमी सिंहभूम जिले की है. यहां का एपीआई 8.8 है, जो झारखंड में सबसे ज्यादा है. इसके अलावा संताल परगना के गोड्डा और पाकुड़ जिले में भी एपीआई बहुत ज्यादा है. इन दोनों जिलों का एपीआई 3.5-3.5 है. हालांकि, अच्छी बात यह है कि देश के कई राज्यों के जिले अभी भी ऐसे हैं, जो झारखंड से कई गुणा ज्यादा खतरनाक स्थिति में हैं. वहां एपीआई 56 से भी ज्यादा हैं. मिजोरम का लावंगतलाई ऐसा ही एक जिला है, जिसका एपीआई 56.2 पाया गया है. मिजोरम के लुंगलेई में 28, मामिट में 33.2, साइहा में 24.4 हैं. झारखंड के पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ के बीजापुर में यह 30.8, दंतेवाड़ा में 25.7 और नारायणपुर में 13.4 है.





