रांची/बजरंग दल झारखंड प्रदेश के संयोजक रंगनाथ महतो ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के इस फैसले का अनुपालन देशभर के सभी प्रदेशों में हो। अपने फैसले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि प्रदेश में जो कोई भी ईसाई बन गए हैं, उन्हें अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का फायदा नहीं मिलना चाहिए। ऐसे मामलों को 'संविधान के साथ धोखाधड़ी' बताते हुए न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि की एकल पीठ ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह चार महीने में ऐसे मामलों में कार्रवाई करें। बताएं कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति का फायदा सिर्फ हिंदुओं, सिखों और बौद्धों को मिलता है, उन लोगों को नहीं जो धर्म बदलकर फायदे लेते हैं। महराजगंज निवासी जितेंद्र साहनी की याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा है कि ईसाई धर्म अपनाने वाले अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति को एससी, एसटी का लाभ लेना जारी रखना "संविधान पर धोखा" है। ईसाई धर्म में जाति व्यवस्था नहीं होती, इसलिए ऐसे व्यक्ति एससी, एसटी का सदस्य नहीं रहते। एकलपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के सी सेल्वेरानी (C. Selvarani) मामले में दिए गए निर्णय का भी हवाला दिया है, जिसमें धर्मांतरण को केवल लाभ के लिए "संविधान पर धोखा" बताया गया है। ग्राम मथानिया लक्ष्मीपुर एकडंगा याची ने अपने खिलाफ सिंदूरिया थाने में दर्ज एफआईआर रद करने की मांग की थी जो हिंदू देवी देवताओं का अपमान और शत्रुता भड़काने के आरोप में दर्ज हुई है। गवाह लक्ष्मण विश्वकर्मा ने इस बात की पुष्टि की कि जितेंद्र साहनी हिंदू धर्म के देवी देवताओं के लिए आपत्तिजनक बातें करता है। उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि ईसाई मत में जाति-आधारित भेदभाव मौजूद नहीं है, और इसलिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति का आधार धर्म परिवर्तन के बाद शून्य हो जाता है। भले ही पहले से जारी कोई जाति प्रमाण पत्र अस्तित्व में हो। न्यायालय ने आगे कहा कि एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम का उद्देश्य उन समुदायों की रक्षा करना है जो ऐतिहासिक रूप से जाति-आधारित भेदभाव का सामना करते हैं। नतीजतन, इसके सुरक्षात्मक प्रावधान उन लोगों तक नहीं बढ़ाए जा सकते जिन्होंने किसी अन्य धर्म को अपना लिया है, जिसमें जाति व्यवस्था को मान्यता ही नहीं है। कोर्ट ने डीएम महाराजगंज को याची के धर्म संबंध मामले की तीन महीने के भीतर जांच करने का निर्देश दिया है। कहा है यदि याची जालसाजी का दोषी पाया जाता है तो कानून के अनुसार उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में इस न्यायालय के समक्ष झूठे हलफनामे दायर न किए जा सकें। याची ने हलफनामे में खुद को हिंदू बताया था।