रांची। हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (एच.ई.सी) के मजदूरों की स्थिति लगातार बद से बदतर होती जा रही है। मजदूर नेता रमा शंकर प्रसाद ने भेल के निदेशक पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि एच.ई.सी कर्मियों का खुलेआम शोषण किया जा रहा है। हालात यह हैं कि कर्मचारियों का लगभग 28 महीने का वेतन बकाया हो चुका है, जबकि पिछले कई महीनों से उत्पादन में निरंतर वृद्धि दर्ज की जा रही है।
उन्होंने कहा कि उत्पादन बढ़ने के बावजूद मजदूरों को उनका हक नहीं मिल रहा। कर्मचारी भूखे पेट काम करने को मजबूर हैं, जबकि कंपनी को जो भी आय हो रही है, उसे प्रबंधन द्वारा पहले वेंडरों और बैंकों के भुगतान में खर्च किया जा रहा है। मजदूरों को प्राथमिकता सूची से बाहर कर दिया गया है।
तीन-चार महीने में सिर्फ 15 दिन का वेतन
मजदूरों को तीन-चार महीने में महज 15 दिन का वेतन दिया जाता है। वह भी पूरी राशि नहीं मिलती। सीपीएफ लोन और अन्य कटौतियों के कारण किसी कर्मचारी के खाते में 5 हजार तो किसी के खाते में मात्र 6 हजार रुपये ही पहुंच पाते हैं। इतने कम पैसों में परिवार चलाना मजदूरों के लिए असंभव हो गया है।
केंद्र में पीठ थपथपाने का आरोप
रमा शंकर प्रसाद ने आरोप लगाया कि एच.ई.सी प्रबंधन केंद्र सरकार के समक्ष यह दावा कर रहा है कि मजदूरों को समय पर वेतन दिया जा रहा है, जबकि जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। मजदूरों की पीड़ा और समस्याओं को छिपाकर झूठी तस्वीर पेश की जा रही है।
सुविधाएं एक-एक कर मौखिक रूप से बंद उन्होंने बताया कि जब से भेल के निदेशक ने एच.ई.सी में पदभार संभाला है, तब से मजदूरों को मिलने वाली लगभग सभी सुविधाएं मौखिक आदेश पर बंद कर दी गई हैं।
जनवरी 2024 से वेतन स्लिप बंद ,सीपीएफ लोन की सुविधा ठप , इनकैशमेंट पर रोक , कैंटीन सुविधा बंद , सेफ्टी उपकरण उपलब्ध नहीं , प्रोत्साहन राशि (इंसेंटिव) नहीं , प्रमोशन पूरी तरह से रोक दिया गया
आंदोलन की चेतावनी
मजदूर नेता ने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही बकाया वेतन का भुगतान नहीं किया गया और मजदूरों की सुविधाएं बहाल नहीं की गईं, तो एच.ई.सी के मजदूर बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रबंधन और भेल के निदेशक की होगी। यह खबर न सिर्फ एच.ई.सी मजदूरों की पीड़ा को उजागर करती है, बल्कि सरकारी उपक्रमों में मजदूर हितों की अनदेखी पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।