
रांची। शुक्रवार को जनजाति सुरक्षा मंच का प्रांतीय कार्यालय आरोग्य भवन बरियातू में एक महत्वपूर्ण बैठक की गई, जिसमें विश्व मूल निवासी दिवस पर चर्चा की गई । बैठक में संदीप उरांव ने कहा कि वर्किंग ग्रुप ऑफ इंडीजीनस पीपुल्स 9 अगस्त 1982 को जिनेवा में पहली बैठक हुई। और सभी देशों से राय लेकर सहमति लेने का प्रयास किया गया, सन 1994 को विश्व मूल निवासी दिवस मनाने का घोषणा की गई। सन 2007 को संयुक्त राष्ट्र संघ ने 46 अनुच्छेद के साथ घोषणा पत्र जारी किए ,इस घोषणा पत्र में भारत के संदर्भ में तार्किक विश्लेषण सिद्ध नहीं होता है।
9 अगस्त का इतिहास को अध्ययन करने के बाद जनजाति सुरक्षा मंच के कार्यकर्ताओं ने तय किया कि उत्सव नहीं बल्कि शोक सभा श्रद्धांजलि मनाएंगे ।
बैठक में सोमा उरांव ने कहा कि की जनजाति समाज में महिलाओं को पैतृक संपत्ति में अधिकार नहीं होता है क्योंकि जनजाति समाज का अपना कस्टमरी लॉ होता है और समाज उसी से गाइड होता है। जो कस्टमरी लॉ को नहीं मानता हो उसके लिए सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कस्टमरी लॉ वाले जनजाति के लिए नहीं है।
मेघा उराव ने कहा कि 9 अगस्त मूल निवासी दिवस है और इस दिन अमेरिका में पांच जनजातियों की जल जंगल जमीन भाषा संस्कृति सभ्यता और महिलाओं के साथ दर्दनाक यातनाएं करते हुए समूल रूप से नष्ट कर दिया गया जिसको ढकने और छुपाने के लिए मूल निवासी दिवस के स्थान पर जानबूझकर षड्यंत्र के तहत विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है जबकि विश्व आदिवासी दिवस या आदिवासी दिवस के रूप में 9 अगस्त के दिन में किसी भी प्रकार का कोई भी महानुभूति की उपलब्धि या जन्म या मरण नहीं है। अमेरिका में जनजातियों को समूल रूप से जो नष्ट किया गया है वैसे जनजातियों के लिए उनकी आत्मा की शांति के लिए हम सभी कार्यकर्ता शोक सभा श्रद्धांजलि दिवस मनाएंगे।इस बैठक में बिना उराव, राजेंद्र बड़ाईक, बंधना मुंडा, जगन्नाथ भगत, मनोज भगत, अंजलि लकड़ा, सुजाता मुंडा, विशु उरांव, दुर्गा उरांव , हिंदुवा उरांव, कामेश्वर साहू, सुनील कुमार वगैरा उपस्थित थे।