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पांच गांवों के हजारों ग्रामीण पीने के पानी को तरसे, अधिकांश चापाकल खराब, जनप्रतिनिधियों ने फेरा मुंह
October 20, 2025 | 527 Views
पांच गांवों के हजारों ग्रामीण पीने के पानी को तरसे, अधिकांश चापाकल खराब, जनप्रतिनिधियों ने फेरा मुंह

सोनाहातु (रांची): दीपावली जैसे बड़े पर्व पर जब पूरे राज्य में रौशनी और खुशियों की बहार थी, वहीं सोनाहातु प्रखंड के पांच गांवों में पानी की एक-एक बूंद को तरसते लोगों की आंखों में मायूसी और नाराज़गी साफ दिखाई दी। सोनाहातु प्रखंड मुख्यालय से महज 200 मीटर की दूरी पर स्थित जलमीनार, जिसकी लागत 745.25 लाख रुपये है, पिछले तीन महीने से बंद पड़ी है। इस योजना पर सोनाहातु, बारुहातु, गोमियाडीह, गाड़ाडीह और सारमाली गांवों की हजारों की आबादी निर्भर है।

जलमीनार के बंद होने के साथ-साथ इलाके के ज्यादातर चापाकल भी खराब पड़े हैं, जिससे लोगों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। ग्रामीणों को पीने का पानी लाने के लिए कई किलोमीटर दूर जाना पड़ रहा है। महिलाओं और स्कूली बच्चों को सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

ग्रामीणों का कहना है कि ना तो पंचायत प्रतिनिधियों ने इस दिशा में कोई कदम उठाया है और ना ही प्रखंड या जिला प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई की गई है। इस क्षेत्र के लोग सिल्ली विधानसभा के अंतर्गत आते हैं, जहां से श्री अमित महतो भावी विधायक के रूप में सक्रिय हैं। ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव आते ही बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं, लेकिन मूलभूत सुविधाएं—जैसे कि पीने का पानी—पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता।

स्थानीय निवासी रमेश महली ने कहा, “त्योहारों में भी हमें पानी के लिए भटकना पड़ा। जलमीनार बनने के बाद लगा था कि अब पानी की समस्या दूर होगी, लेकिन अब वही टंकी शोपीस बनकर रह गई है।

ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि जलमीनार को अविलंब चालू किया जाए और खराब चापाकलों की मरम्मत कराई जाए, ताकि उन्हें रोजाना की जल संकट से राहत मिल सके।

अगर शीघ्र समाधान नहीं हुआ, तो ग्रामीणों ने आंदोलन की चेतावनी भी दी है।


October 20, 2025 | 528 Views
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