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कुड़मी/कुर्मी महतो समाज की ST (अनुसूचित जनजाति) दर्जे की मांग के विरोध में आदिवासी समुदाय पर हो रहे चौतरफा हमलों को लेकर प्रेस वार्ता 
September 29, 2025 | 290 Views
कुड़मी/कुर्मी महतो समाज की ST (अनुसूचित जनजाति) दर्जे की मांग के विरोध में आदिवासी समुदाय पर हो रहे चौतरफा हमलों को लेकर प्रेस वार्ता 

रांची।  झारखंड के विभिन्न आदिवासी संगठनों की ओर से प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया । जहां आदिवासी नेताओं ने कहा  कुड़मी/कुर्मी महतो समाज को आदिवासी (ST) के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। यह मांग न केवल ऐतिहासिक तथ्यों के विरुद्ध है, बल्कि संविधान और सामाजिक न्याय की भावना के भी खिलाफ है।

मनोज उराँव ने कहा कि यदि कुड़मी/कुर्मी समाज स्वयं को आदिवासी मानते हैं, तो उन्हें ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि अगले जन्म में वे किसी आदिवासी माँ की कोख से जन्म लें।

आशुतोष सिंह चेरो (पलामू प्रमंडल प्रभारी, आदिवासी छात्र संघ) ने कहा कि कुड़मी/कुर्मी महतो समाज द्वारा आदिवासी समाज के बीच जो भ्रम और अराजकता फैलाई जा रही है, वह आदिवासी हक-अधिकारों पर सीधा हमला है। उनका समाज, आदिवासी सामाजिक संरचना और सांस्कृतिक परंपराओं से बिल्कुल भिन्न है।

एडवोकेट देवी दयाल मुंडा ने कहा कि कुड़मी/कुर्मी समाज के कुछ तथाकथित नेताओं द्वारा आदिवासी दर्जा प्राप्त करने की जो गैर-संवैधानिक मांग की जा रही है, उसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए। समाज में उत्पन्न तनाव और टकराव की स्थिति को समाप्त करने हेतु सभी पक्षों को मिलकर सामाजिक समरसता बनाए रखने की दिशा में प्रयास करना चाहिए।

सूरज टोप्पो, कार्यकारी अध्यक्ष – आदिवासी मूलवासी मंच, ने कहा कि कुड़मी/कुर्मी समाज कभी अपने आपको शिवाजी का वंशज तो कभी लव-कुश का वंशज बताते हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि वे स्वयं भी अपनी पहचान को लेकर स्पष्ट नहीं हैं।

विवेक तिर्की (DSPMU रांची कॉलेज अध्यक्ष, आदिवासी छात्र संघ) ने कहा कि ST आरक्षण में कुड़मी/कुर्मी महतो समाज को शामिल करने की कोई भी कोशिश आदिवासी समाज के लिए घातक होगी। उन्होंने प्रशासन से अपील की कि झारखंड की शांति व्यवस्था बनाए रखने हेतु इस मुद्दे को गंभीरता से लिया जाए और कुड़मी/कुर्मी नेतृत्व के विरुद्ध उचित कानूनी कार्रवाई की जाए।

नाइन गोपाल सिंह मुंडा ने आरोप लगाया कि कुड़मी/कुर्मी महतो समाज द्वारा रघुनाथ महतो के इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।

इस संयुक्त प्रेस वार्ता में झारखंडी आदिवासी बचाव संघर्ष समिति, आदिवासी छात्र संघ, आदिवासी मूलवासी मंच एवं अन्य समस्त आदिवासी संगठन सम्मिलित रहे।

हम सभी संगठनों की ओर से पुनः यह दोहराया जाता है कि:

“हम यहीं के थे, यहीं के हैं और यहीं के रहेंगे। भाईचारा बनाए रखें, सामाजिक सद्भाव बनाए रखें।”


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