
रांची । आदिवासी कुड़मी समाज द्वारा दिनांक 20 सितम्बर, 2025 को समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल किए जाने की मांग को लेकर रेल परिचालन बाधित करने एवं रेल रोको आंदोलन की घोषणा की गई है। इस संदर्भ में रांची के अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा रांची जिला अतर्गत विभिन्न रेलवे स्टेशन के 300 मीटर के दायरा में निषेधाज्ञा लागूक गई है।
इस संबंध में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने स्पष्ट निर्देश जारी किया है कि आंदोलन के दौरान किसी भी प्रकार से कानून-व्यवस्था की स्थिति भंग नहीं होनी चाहिए तथा नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए। न्यायालय ने कहा है कि प्रस्तावित रेल एवं सड़क अवरोध किसी भी स्थिति में चिकित्सा एवं आपातकालीन सेवाओं, आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति एवं जन-साधारण के सामान्य जीवन को बाधित नहीं करना चाहिए।
आंदोलन के संबंध में आदिवासी कुड़मी समाज ने भी न्यायालय एवं प्रशासन को आश्वस्त किया है कि उनका कार्यक्रम शांतिपूर्ण होगा तथा इससे अर्थव्यवस्था, परिवहन एवं आवश्यक सेवाओं पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। समाज द्वारा लिखित रूप से यह भी आश्वासन दिया गया है कि आंदोलन के दौरान किसी भी निर्दोष नागरिक को क्षति नहीं होगी और प्रशासन के साथ पूर्ण सहयोग किया जाएगा।
जिला प्रशासन ने इस संबंध में आम नागरिकों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें तथा कानून-व्यवस्था बनाए रखने में प्रशासन को सहयोग करें। प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधि अथवा हिंसक व्यवहार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी रांची मंजूनाथ भजंत्री ने कहा है कि कानून-व्यवस्था एवं शांति बनाए रखना जिला प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। जनता को किसी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए आवश्यक सभी कदम उठाए जा रहे हैं। रेलवे, परिवहन विभाग एवं पुलिस प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित कर स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है।

रांची। उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी राँची, मंजूनाथ भजन्त्री एवं उप- विकास आयुक्त राँची, सौरभ कुमार भुवनिया ने संयुक्त रूप से Rural Immersion & Culturual Celebration Programe के तहत Camping Programe निर्धारित है, जिसके लिए इच्छुक पर्यटकों को आज दिनांक 25.09.2025 को समाहरणालय परिसर से हरी झंडी दिखा कर प्रखण्ड रातू के ग्राम पाली के लिए रवाना किया गया।
इस दौरान, जिला नजारत उप समाहर्ता राँची, डॉ. सुदेश कुमार, जिला खेल पदाधिकारी राँची, शिवेंद्र कुमार सिंह एवं सम्बंधित पदाधिकारी उपस्थित थे।
पर्यटन, कला-संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग (पर्यटन प्रभाग) तथा जिला प्रशासन, राँची के संयुक्त तत्वाधान में विश्व पर्यटन दिवस 2025 के अवसर पर राँची जिले में 21 से 27 सितंबर 2025 तक *पर्यटन जागरूकता अभियान* का आयोजन किया जा रहा है। इस अभियान का उद्देश्य पर्यटन के प्रति आम जनमानस में जागरूकता बढ़ाना, स्थानीय संस्कृति को प्रोत्साहन देना, और ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देना है।
24 सितंबर 2025: टैगोर हिल में सफाई और योग कार्यक्रम
इसी कड़ी में दिनांक 24 सितंबर 2025 को राँची के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल *टैगोर हिल* में *सफाई अभियान* और *योग कार्यक्रम* का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में लगभग *130 पर्यटकों* ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। सफाई अभियान के माध्यम से पर्यटकों और स्थानीय समुदाय ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को दर्शाया, वहीं योग कार्यक्रम ने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को उजागर किया। यह आयोजन पर्यटकों और स्थानीय निवासियों के बीच सामुदायिक सहभागिता को बढ़ाने में सफल रहा।
*25-26 सितंबर 2025: ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु रूरल इमर्शन एंड कल्चरल सेलिब्रेशन प्रोग्राम*
विश्व पर्यटन दिवस के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन को प्रोत्साहित करने और स्थानीय संस्कृति को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से *25 से 26 सितंबर 2025* को *रूरल इमर्शन एंड कल्चरल सेलिब्रेशन प्रोग्राम* के तहत *कैंपिंग प्रोग्राम* का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यक्रम राँची जिले के *रातू प्रखंड* के *पाली गाँव* में आयोजित होगा।
यह कार्यक्रम ग्रामीण जीवनशैली, स्थानीय कला-संस्कृति, और प्राकृतिक सौंदर्य को अनुभव करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करेगा।
यह अभियान न केवल पर्यटकों को झारखंड के ग्रामीण और प्राकृतिक सौंदर्य से परिचित कराने का प्रयास है
यह अभियान न केवल पर्यटकों को झारखंड के ग्रामीण और प्राकृतिक सौंदर्य से परिचित कराने का प्रयास है, बल्कि स्थानीय समुदायों को पर्यटन के माध्यम से आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने का भी एक कदम है। कैंपिंग कार्यक्रम के दौरान पर्यटक स्थानीय व्यंजनों, हस्तशिल्प, और सांस्कृतिक प्रदर्शनों का आनंद ले सकेंगे, जो झारखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाएगा।
*हम सब मिलकर झारखंड के प्राकृतिक और सांस्कृतिक वैभव को विश्व पटल पर उजागर करें*
उपायुक्त ने सभी पर्यटकों, स्थानीय निवासियों, और पर्यटन प्रेमियों से इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग लेने का आह्वान किया और कहा हम सब मिलकर झारखंड के प्राकृतिक और सांस्कृतिक वैभव को विश्व पटल पर उजागर करें।

साहिबगंज। पुलिस ने फरार चल रहे कुल पाँच वारंटियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजने में सफलता हासिल की है।जिसमें जिले के नगर थाना पुलिस ने कुंदन पासवान पिता छोटेलाल पासवान नगर थाना क्षेत्र के रसूलपुर दहला निवासी को जेल भेजा है,जिसके विरुद्ध नगर थाना में कांड संख्या 64/2019 दर्ज है।वही दूसरी तरफ जिले के मुफस्सिल थाना पुलिस ने कुल चार वारंटियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है जिसममें पंकज मंडल 28 वर्षीय बड़ी कोदार्जना निवासी,दीपक यादव 28 वर्षीय गुड्डू सिंह 32वर्षीय कांतर सिंह 32 वर्षीय को गिरफ्तार कर सदर अस्पताल में कोविड 19 जांच कराकर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।वही मामले में मुफस्सिल थाना प्रभारी अनीश पांडे ने बताया कि इन चारों पर आर्मस एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज है।

रांची। क्षेत्रीय सरना समिति, जनजाति सुरक्षा मंच, झारखंड आदिवासी सरना विकास समिति धुर्वा रांची एवं अन्य संगठनों की ओर से जो बगैर परमिशन के चांद गांव में एक वर्ष से ऊपर तंबू कैंप लगाकर रविवार और बुधवार को चंगाई के नाम पर आदिवासियों के साथ गैर आदिवासियों को भी चर्च मिशनरी धर्मान्तरण कराने के खिलाफ जनाक्रोस जनसभा का आयोजन तुपुदाना क्षेत्र दसमाईल चौक जतरा मैदान में किया गया।
मेघा उरांव ने कहा है कि ईसाई मिशनरी ये ठान लिया है कि आदिवासियों का अस्तित्व, और अस्मिता उनका समुल को नष्ट कर ईसाईयत की ओर ले जाना और इनका आसान तरीका चंगाई सभा जो जगह-जगह कैंप लगाकर धर्मानांतरण कराने का काम किया जा रहा है यदि यीशु ईश्वर का प्रार्थना करने से ही गंभीर से गंभीर बीमारी ठीक करने का दावा करता है तो सबसे पहले मिशनरी अस्पतालो को बंद कर देना चाहिए।
एक तरफ आदिवासियो का हितैषी बनकर रहना चाहता है दूसरी तरफ आदिवासियों का आस्था विश्वास को ही नष्ट कराता ये ईसाई मिशनरी हम आदिवासियों का हितैषी कभी नहीं हो सकता ए हमारा एक नंबर का शत्रु है हमें समय रहते है इससे सावधान रहने की जरूरत है आज का सभा ये चेतावनी सभा है अगर इससे भी नहीं चेता तो आने वाले समय में चर्च मिशनरियों को सामना करना पड़ेगा।
संदीप उरांव ने कहा कि अवैध तरीके से पांचवी अनुसूचित क्षेत्रों में इस तरह के बिना ग्राम सभा ग्राम प्रधान का परमिशन न ही शासन प्रशासन का बगैर सहमति के इस तरह पूरे झारखंड में धर्मांतरण का खेला बेला चल रहा है जो देश के लिए राष्ट्र के लिए खतरा है इस विषय को लेकर बहुत जल्द राज्यपाल, राष्ट्रपति ,प्रधानमंत्री से मिलकर सारी बातों का अवगत कराएंगे।
जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत ने कहा कि ईसाई मिशनरी हम जनजातियों /आदिवासियों को दींमक की तरह चाट जा रहा है ये अब सहन नहीं किया जाएगा अंत में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया तुपुदाना थाना क्षेत्र अंतर्गत चांद गांव में गलत तरीके से एक साल ऊपर टेंट लगा कर ईसाई बनाने का काम किया जा रहा है उसको 15 दिनों के अंदर अपना बोरिया बिस्तर हटा लें अन्यथा हजारों कि संख्या में झारखंड और छत्तीसगढ के लोग उस टेंट पंडाल को उखाड़ कर फेंक देंगे।
सभा को कई वक्ताओं ने भी संबोधित किया
इस दौरान सभा में कार्यक्रम के संयोजक ग्राम प्रधान राम बान्डो , झारखंड प्रदेश मुखिया सघ अध्यक्ष सोमा उरांव ,मनोज मुंडा ,पंचायत समिति सदस्य मगरा कच्छप , पूर्व मुखिया गणेश तिग्गा ,रजनी टोप्पो , जय मंत्री उरांव, डा बिरसा उरांव, प्रमिला कच्छप , शांति कुजूर ,सरिता बान्डो , रितेश उरांव, अंजलि लकड़ा , राजू उरांव , एवं बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे। सभा का संचालन सन्नी उरांव , और धन्यवाद ज्ञापन पिंकी खोया ने की ।

रांची। झारखंड आंदोलन के प्रणेता, झारखंडी अस्मिता के गौरव स्व. बिनोद बिहारी महतो की 102वीं जयंती आजसू पार्टी के केंद्रीय कार्यालय, हरमू में बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई गई। इस अवसर पर उनकी स्मृति में 102 दीप प्रज्वलित कर उनके अमर योगदान को नमन किया गया। साथ ही, उनके सुपुत्र एवं झारखंड अस्मिता के सशक्त प्रहरी, आजसू पार्टी के पूर्व केंद्रीय उपाध्यक्ष,पूर्व सांसद एवं विधायक स्व. राजकिशोर महतो की जयंती पर भी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
कार्यक्रम में नेताओं के विचार
आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश कुमार महतो ने कहा कि स्व. बिनोद बिहारी महतो ने मजदूर वर्ग, विस्थापितों और वंचित समुदाय को संगठित कर “पढ़ो और लड़ो ” जैसे क्रांतिकारी नारे के साथ झारखंड आंदोलन को नई दिशा दी। उनका संघर्ष केवल राज्य निर्माण तक सीमित नहीं था, बल्कि एक समानतापूर्ण और बौद्धिक झारखंड के निर्माण का सपना था।
स्व. राजकिशोर महतो जी ने भी अपने पिता के सपनों को आगे बढ़ाते हुए सामाजिक और राजनीतिक चेतना को मजबूत किया।उन्होंने वर्तमान राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आज जबरन विस्थापन, रोजगार की कमी और सरना धर्म कोड, PESA कानून व ST वर्ग के अधिकारों पर मौन नीति, सरकार की असंवेदनशीलता को दर्शाती है। जिस तरह कोटशिला में हालिया रेल टेका आंदोलन के दौरान बंगाल पुलिस ने निर्दोष लोगों पर अत्याचार किया, वह लोकतांत्रिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है। यह स्पष्ट करता है कि वर्तमान सरकार समाज को बांटने और हक से वंचित करने की राजनीति कर रही है।
'पढ़ो और लाड़ो' का संदेश आज प्रासंगिक
केंद्रीय प्रवक्ता डॉ देव शरण भगत ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि झारखंड की परिकल्पना एक समतापूर्ण और न्यायपूर्ण समाज की थी, जो आज न तो दिशापूर्ण है और न न्यायपूर्ण। उन्होंने कहा कि बिनोद बिहारी महतो का दिया हुआ संदेश “पढ़ो और लड़ो” आज भी युवाओं के लिए शिक्षा और जागरूकता का सबसे बड़ा प्रेरणा सूत्र है।
युवाओं से नया संकल्प
केंद्रीय उपाध्यक्ष हसन अंसारी ने कहा कि स्व. बिनोद बिहारी महतो और स्व. राजकिशोर महतो जी का जीवन समर्पण से भरा रहा। झारखंड आंदोलन को गति देने में उनकी भूमिका निर्णायक रही। उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि युवा उनके विचारों और आदर्शों से प्रेरित होकर उनके सपनों को साकार करने का संकल्प लें और झारखंड को समानता, न्याय और विकास की दिशा में आगे बढ़ाने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाएँ।
विस्थापन से प्रेरणा
केंद्रीय महासचिव राजेंद्र मेहता ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि बचपन से स्व. बिनोद बिहारी महतो से लगाव रहा, जिनके संगठनात्मक संबंध ने विस्थापन की पीड़ा देखी। बिना संघर्ष के राज्य का निर्माण असंभव है। आजसू आंदोलन को उनका साथ मिला, जिसकी विचारधारा को मैंने जीवन में आत्मसात किया।
रांची जिला परिषद अध्यक्ष निर्मला भगत ने कहा कि बिनोद बाबू के अधूरे सपनों को पूरा करने का दायित्व आज की पीढ़ी का है।संजय मेहता और अन्य वक्ताओं ने भी बिनोद बाबू और राजकिशोर जी की नीतियों को आत्मसात कर झारखंड को मजबूत करने का संकल्प दोहराया।
कोटशिला प्रकरण पर आजसू पार्टी का कड़ा रुख
मीडिया को संबोधित करते हुए सुदेश महतो ने कहा कि कोटशिला रेल टेका आंदोलन के दौरान बंगाल पुलिस की बर्बरता लोकतांत्रिक मूल्यों पर सीधा हमला है। उन्होंने बताया कि घायल और पीड़ित ग्रामीणों से मिलने के लिए वेकोटशिला जा रहे थे, लेकिन पश्चिम बंगाल प्रशासन ने उन्हें बीच रास्ते में ही रोक दिया। यह तब हुआ जब उनके दौरे की पूर्व सूचना प्रशासन को दी जा चुकी थी।
जिस तरह आम ग्रामीणों पर लाठीचार्ज, गिरफ्तारियां और मारपीट की गई, वह पूरी तरह असंवैधानिक है। पीड़ितों से मिलने पर रोक लगाना बंगाल सरकार की अलोकतांत्रिक मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि आजसू पार्टी इस घटना की कड़ी निंदा करती है, पीड़ितों के साथ खड़ी है और दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग करती है।
रोजगार और विकास पर सवाल
सुदेश महतो ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने 2019 में युवाओं को 25 लाख रोजगार देने और 2022 को रोजगार वर्ष घोषित करने का वादा किया था, लेकिन हकीकत यह है कि अब तक 10 हजार पदों पर भी नियुक्ति नहीं हुई । आज भी लाखों पद खाली पड़े हैं और युवा बेरोजगारी से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार केवल मंच सजाकर वाहवाही लूटने में व्यस्त है जबकि जनता अंधकार में है।
आजसू पार्टी ने स्पष्ट किया कि उसका संगठन किसी एक समाज का नहीं बल्कि सभी वर्गों का आंदोलन है। शिक्षा, विकास और वंचित समुदायों के अधिकारों के लिए पार्टी लगातार संघर्षरत है।
उपस्थित नेता
कार्यक्रम में आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष एवं झारखंड के पूर्व उपमुख्यमंत्री श्री सुदेश महतो , केंद्रीय प्रवक्ता डॉ देव शरण भगत, केंद्रीय उपाध्यक्ष हसन अंसारी , केंद्रीय महासचिव राजेंद्र मेहता , केंद्रीय महासचिव संजय मेहता रांची महानगर अध्यक्ष ज्ञान सिन्हा, रांची जिला परिषद अध्यक्ष निर्मला भगत , केंद्रीय सचिव हरीश सिंह , छात्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष ओम वर्मा, पूर्व जिला परिषद उपाध्यक्ष पार्वती देवी , सहित बड़ी संख्या में पार्टी पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

साहेबगंज । राजमहल विधायक मो ताजउद्दीन उर्फ एमटी राजा जी ने राजमहल प्रखंड के मंगलहाट स्थित सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति के माध्यम से आयोजित कलश यात्रा का फीता काटकर व नारियल फोड़कर शुभारंभ किए. कलश यात्रा में हजारों की संख्या में लोग शामिल थे. पूजा समिति के सुभाष चंद्र दास, राजेश मंडल, विकास यादव, दुर्गा मंडल , श्रवण मंडल सहित अन्य ने माननीय विधायक को अंग वस्त्र एवं चुनरी भेंट कर स्वागत किया. मौके पर मौजूद झामुमो युवा मोर्चा जिला सचिव सह विधायक प्रतिनिधि मो मारूफ उर्फ गुड्डू जी, राजमहल सीओ मो युसूफ व थाना प्रभारी मोहम्मद हसनैन अंसारी का भी अंग वस्त्र देकर स्वागत किया गया. कलश यात्रा में लगभग 5 हजार से अधिक लोग शामिल थे. विधायक जी ने कहा कि मंगलहाट दुर्गा मंदिर के माध्यम से भव्य आयोजन दुर्गा पूजा के अवसर पर की जाती है. उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत रूप से समिति से उनका पुराना संबंध है और पूजा एवं आयोजन में विधि व्यवस्था एवं शांति व्यवस्था बनाए रखने में प्रशासनिक पदाधिकारी सजगता पूर्वक कार्य करेंगे।

नई दिल्ली :- नई दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में 5 से 22 सितम्बर तक आयोजित सरस आजीविका मेले में झारखंड की ग्रामीण महिलाओं ने अपनी उद्यमिता और परंपरागत कला से खास पहचान बनाई। पलाश एवं आदिवा ब्रांड के सात स्टॉलों के माध्यम से महिलाओं ने 25 लाख रुपये से अधिक का कारोबार किया। माननीय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पाण्डेय सिंह ने भी ट्वीट कर इन महिलाओं के प्रयासों की सराहना की और झारखंड के हस्तनिर्मित उत्पादों को राष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए शुभकामनाएं दीं।
झारखंड की महिलाओं का अपना ब्रांड ‘पलाश’ का सरस आजीविका मेले में शानदार प्रदर्शन रहा। पलाश के अंतर्गत उपलब्ध खाद्य उत्पाद जैसे रागी लड्डू, शुद्ध शहद, काले गेहूं का आटा और अरहर दाल, तथा गैर-खाद्य उत्पाद जैसे साबुन, लेमन ग्रास ऑइल इत्यादि दिल्लीवासियों के बीच बेहद लोकप्रिय रही। पूरे मेले के दौरान इन उत्पादों की कुल बिक्री 25 लाख रुपये से ज्यादा रही, जो ग्रामीण महिलाओं की मेहनत, हुनर और लगन का प्रतीक है। पलाश के उत्पाद न केवल गुणवत्ता और स्वाद में श्रेष्ठ हैं, बल्कि झारखंड की ग्रामीण महिलाओं की पहचान और उनकी आत्मनिर्भरता को भी दर्शाते हैं। हर उत्पाद में इन महिलाओं के प्रयास, परंपरा और नवाचार का अनूठा संगम देखने को मिला, जिसने पलाश को राष्ट्रीय मंच पर एक अलग पहचान बनाई।
*झारखंड की ग्रामीण महिलाओं को प्रोत्साहित करने दिल्ली पहुँची मंत्री दीपिका पाण्डेय सिंह*
ग्रामीण विकास मंत्री, श्रीमती दीपिका पाण्डेय सिंह ने सरस आजीविका मेले का दौरा किया और महिलाओं के स्टॉल पर जाकर पलाश ब्रांड के उत्पादों का अवलोकन किया।
उन्होंने कहा, "इन ग्रामीण महिलाओं की मेहनत और हुनर काबिले तारीफ है। उन्हें राष्ट्रीय मंच पर अपनी कला और उत्पाद प्रदर्शित करने का पूरा अवसर मिलना चाहिए। पलाश ब्रांड और सरस मेला इसी दिशा में एक कदम है" मंत्री ने ग्रामीण महिलाओं को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रोत्साहित किया और उनकी कला को और विकसित करने के लिए झारखंड सरकार द्वारा हर संभव सहयोग उपलब्ध कराने का विश्वास दिलाया।
गोड्डा की सोनी देवी ने सरस मेले में दिखाया हुनर, 3 लाख से अधिक का किया कारोबार
गोड्डा जिले की सोनी देवी को पहली बार दिल्ली सरस मेले में जाने का मौका मिला। सखी मंडल से जुड़कर अपने गाँव में तसर सिल्क की साड़ियाँ, सूट पीस और दुपट्टे तैयार करने वाली सोनी देवी ने मेले में लगभग 3 लाख रुपये से अधिक का कारोबार किया। उन्होंने बताया कि मेले ने उन्हें सिर्फ बिक्री का अवसर ही नहीं दिया, बल्कि अन्य राज्यों की महिलाओं से सीखने और अनुभव साझा करने का भी अवसर प्रदान किया।
*आदिवा : झारखंड के पारंपरिक आभूषणों का अपना ब्रांड मेट्रो सिटी के लोगों को आया बहुत पसंद*
ग्रामीण महिलाओं द्वारा बनाए गए पारंपरिक आभूषणों को पहचान देने के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन के मार्गदर्शन में आदिवा ब्रांड की शुरुआत वर्ष 2021 में की गई थी। आदिवा ब्रांड को राष्ट्रीय पटल पर ले जाने के लिए ग्रामीण विकास विभाग ने हर संभव प्रयास किया और इसी कड़ी में सरस आजीविका मेले में आदिवा ज्वेलरी का प्रदर्शनी सह बिक्री स्टॉल लगाया गया।
मेले में आदिवा के गहनों की चमक आकर्षण का केंद्र बनी रही। चाहे छोटी बच्चियाँ हों, कॉलेज की लड़कियाँ या फिर महिलाएँ—सभी को हस्तनिर्मित पारंपरिक आभूषण बेहद पसंद आए। आदिवा के स्टॉल पर 200 रुपये के झुमकों से लेकर 5-6 हजार रुपये तक के चाँदी के आभूषण उपलब्ध रहे। चाँदी सहित अन्य धातुओं से बने आभूषण भी दिल्ली के लोगों को काफी भाए।
झारखंड की पारंपरिक ज्वेलरी, जो कभी विलुप्त होने के कगार पर थी, आज देश की राजधानी में आदिवा ब्रांड के तले अपनी पहचान बनाने में सफल रही। लोगों ने पारंपरिक आभूषणों में चाँदी की मंढली, झोंपा सीकरी, पछुवा, कंगना, डबल झुमका तथा मेटल से बने अन्य आभूषणों को विशेष रूप से सराहा।
*दिल्ली में झारखंडी व्यंजनों का स्वाद रहा हिट, राष्ट्रीय स्तर पर मिला तीसरा पुरस्कार*
सरस मेला में झारखंड के पारंपरिक व्यंजनों ने विशेष पहचान बनाई। सखी मण्डल की महिलाओं द्वारा तैयार किए गए धूसका, दाल पीठा और घूग्नि ने दिल्लीवासियों का दिल जीत लिया। इन व्यंजनों की लोकप्रियता से महिलाओं ने 3 लाख रुपये से अधिक का कारोबार किया। स्वादिष्ट होने के साथ-साथ ये व्यंजन झारखंड की समृद्ध ग्रामीण संस्कृति और खान-पान की परंपरा को भी जीवंत रूप से प्रस्तुत कर रहे थे।
मेले के अंतिम दिन झारखंड को लाइव फ़ूड श्रेणी में तीसरे पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ग्रामीण विकास मंत्री श्रीमती दीपिका पाण्डेय सिंह ने भी मेले में झारखंडी व्यंजनों का स्वाद चखा और इन महिलाओं का उत्साह बढ़ाया।
*झारखंड की पत्रकार दीदी ने की ‘सरस आजीविका मेले’ की पूरी रिपोर्टिंग*
इस आयोजन में एक और खास आकर्षण रहीं झारखंड की ‘पत्रकार दीदी’। ग्रामीण विकास मंत्रालय के विशेष आमंत्रण पर सरायकेला की सुनीता ने पूरे मेले की रिपोर्टिंग की। उन्होंने सोशल मीडिया के लिए सामग्री तैयार करने, विभिन्न राज्यों से आई महिलाओं की कहानियाँ लिखने और ग्राहकों व आयोजकों के अनुभव साझा करने की जिम्मेदारी निभाई। पत्रकार दीदी की इस पहल ने यह साबित किया कि ग्रामीण महिलाएँ अब सिर्फ उत्पादन और बिक्री तक सीमित नहीं हैं, बल्कि मीडिया और संवाद के क्षेत्र में भी अपनी अहम भूमिका निभा रही हैं।

रांची – झारखंड किसान महासभा ने रांची में प्रेस क्लब में एक राज्य स्तरीय किसान सम्मेलन सह प्रेस वार्ता का आयोजन किया, जिसकी अध्यक्षता महासभा के अध्यक्ष श्री राजू महतो जी ने की। इस सम्मेलन में राज्य भर से आए किसानों ने हिस्सा लिया और अपनी समस्याओं को साझा किया।
अध्यक्ष श्री राजू महतो जी ने कहा कि झारखंड की 80% आबादी कृषि पर निर्भर है, लेकिन राज्य के बजट का केवल 4-5% हिस्सा ही कृषि के लिए आवंटित होता है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस राशि का भी सही ढंग से उपयोग नहीं होता है, बल्कि मनमाने तरीके से योजनाएं बनाकर पैसों की बंदरबांट की जाती है।
महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष श्री पंकज राय जी ने यूरिया की किल्लत और कालाबाजारी पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि किसानों को ₹266 प्रति बोरी मिलने वाली यूरिया ₹500 से ₹600 में खरीदने पर मजबूर होना पड़ा। श्री राय ने कहा कि हमारे राज्य में सिंदरी में 1.30 लाख मीट्रिक टन क्षमता वाला उर्वरक कारखाना होने के बावजूद किसानों को यह परेशानी झेलनी पड़ रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि अब किसान इस तरह की मनमानी बर्दाश्त नहीं करेंगे और अपने हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे।
महासभा के केंद्रीय महासचिव उपेंद्र गुरु जी ने धान खरीद प्रक्रिया पर सवाल उठते हुए कहा कि जब दिसंबर में धान की फसल तैयार हो जाती है, तो पैक्स फरवरी-मार्च में क्यों खोले जाते हैं? राज्य में धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य पड़ोसी राज्यों ओडिशा और छत्तीसगढ़ की तुलना में ₹800 कम है और किसानों को भुगतान के लिए भी महीनों इंतजार करना पड़ता है ,ऐसा क्यों? किसानों के साथ ऐसा व्यवहार क्यों हो रहा है । उन्होंने मांग की कि इस बार धान खरीद केंद्रों को समय पर खोला जाए और भुगतान भी तय समय में किया जाए, अन्यथा किसान आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे।
सम्मेलन में उपस्थित सभी किसानों ने एक स्वर में कहा कि वे अब किसी भी तरह की अनियमितता बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने मांग की कि कृषि योजनाएं किसानों की जरूरतों और सहमति के अनुसार ही बनाई जानी चाहिए न कि ऐसी कमरों में कुछ लोगों की मिलीभगत से ।
सम्मेलन के अंत में, केंद्रीय अध्यक्ष श्री राजू महतो ने घोषणा की कि किसानों की समस्याओं के समाधान और उनके हितों की रक्षा के लिए झारखंड किसान महासभा जल्द ही पूरे राज्य में "किसान बचाओ यात्रा" शुरू करने जा रही है। यात्रा राज्य के प्रत्येक गांव तक पहुंचेगी और किसानों योजना के एक एक पैसों के हिसाब भी लिया जाएगा।

राँची। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने कहा है कि आजसू लगातार कुड़मी समाज के साथ खड़ी रही है। कुड़मी समुदाय धैर्य के साथ विगत 90 वर्षों से अपने साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय के खिलाफ लड़ता आ रहा है। इसके धैर्य की अब और परीक्षा नहीं ली जाए। अब समय आ गया है कि राज्य और केंद्र सरकार अविलंब फैसला लें। श्री महतो आज मुरी में कुड़मी समाज के रेल टेका, डहर छेका आंदोलन में शामिल होने के बाद मीडिया से बातचीत कर रहे थे।
श्री महतो ने कहा कि कुड़मी समुदाय ने अपनी ताकत दिखा दी है। कुड़मी को अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में शामिल करने और कुड़मालि भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में मान्यता दिलाने की ऐतिहासिक मांग को लेकर झारखंड सहित आसपास के राज्यों में “रेल टेका–डहर छेका” आंदोलन का व्यापक रूप से सफल रहा है।
श्री महतो ने कहा कि कुड़मी समाज को 1931 में एसटी सूची से बाहर कर दिया गया था। तब से यह समाज अपने अधिकारों की लड़ाई लगातार लड़ रहा है।
सुदेश महतो ने राज्य झामुमो सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि पहले शिबू सोरेन ने और 2019 में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्वयं कुड़मी समाज की मांग को स्वीकार करते हुए उस पर अपनी सहमति जताई थी और हस्ताक्षर भी किए थे, लेकिन आज वही झामुमो अपने रुख से पीछे हट रहा है। उन्होंने कहा, यह एक लंबी लड़ाई है। जैसे देश की आज़ादी एक दिन में नहीं मिली, वैसे ही समाज ने समय के साथ जागरूकता और एकता के बल पर अपनी आवाज बुलंद की है। परंतु वर्तमान सरकार इस विषय पर गंभीर नहीं दिख रही है और लगातार अपने रुख में बदलाव कर रही है।
सुदेश महतो ने बताया कि आजसू पार्टी ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर 16 संगठनों के साथ मिलकर भारत सरकार के समक्ष रखा है और गंभीर विचार-विमर्श के लिए प्रस्ताव भी सौंपा है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि राज्य और केंद्र सरकार मिलकर जल्द से जल्द इस मुद्दे का समाधान निकालें, ताकि समाज का आक्रोश शांत हो और ऐतिहासिक न्याय सुनिश्चित हो सके।
श्री महतो ने दोहराया कि कुड़मी समाज की मांग तथ्य एवं ऐतिहासिक आधार पर पूरी तरह उचित है। पार्टी ने सरकार से अपील की है कि आंदोलन को देखते हुए त्वरित निर्णय ले और कुड़मी समाज को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की दिशा में ठोस कदम उठाए।

ब्यूरो। राजस्थान विधानसभा में पारित “राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2025” को समाज के व्यापक वर्गों ने स्वागत योग्य और ऐतिहासिक बताया है। यह विधेयक न केवल अवैध धर्मांतरण पर सख्त अंकुश लगाने वाला है, बल्कि भारतीय संस्कृति और सामाजिक समरसता की रक्षा का सशक्त साधन भी बनेगा। लंबे समय से समाज में यह मांग उठ रही थी कि धर्म की स्वतंत्रता के नाम पर चल रहे सुनियोजित षड्यंत्रों पर लगाम कसने के लिए कठोर कानून बनाया जाए। राजस्थान ने इस दिशा में जो कदम उठाया है, वह देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल बनेगा।
विधेयक की पृष्ठभूमि
भारत एक लोकतांत्रिक और पंथ निरपेक्ष राष्ट्र है। यहाँ हर नागरिक को अपनी आस्था और पूजा-पद्धति का पालन करने की स्वतंत्रता है। किंतु यह स्वतंत्रता तभी तक सार्थक है जब तक इसका दुरुपयोग न हो। विगत कुछ दशकों में कई बार यह देखने को मिला कि समाज के वंचित वर्गों विशेषकर नाबालिगों, महिलाओं, अनुसूचित जाति-जनजाति और गरीबों को लालच, प्रलोभन, छल या दबाव के जरिए धर्म परिवर्तन के लिए विवश किया गया। कट्टरपंथी इस्लाम और ईसाइयत इसके केंद्र में है, ये आरोप और साक्ष्य बार-बार सामने आते रहे हैं। वहीं, विदेशी फंडिंग से चलने वाले संगठनों पर भी ऐसी गतिविधियों के आरोप लगते रहे हैं। राजस्थान जैसे सीमावर्ती और जनजातीय इलाकों वाले राज्यों में यह समस्या और अधिक गंभीर रूप ले चुकी थी। परिणामस्वरूप जनभावनाएँ बार-बार कठोर कानून की मांग कर रही थीं। फरवरी 2025 में प्रस्तुत प्रारंभिक विधेयक की तुलना में वर्तमान संस्करण कहीं अधिक कठोर और प्रभावी है।
कठोर दंड का प्रावधान
इस विधेयक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें धर्मांतरण कराने वालों को अब हल्की सजाओं के बजाय कठोरतम दंड भुगतना होगा। जबरन, धोखे या लालच से कराए गए धर्मांतरण पर अब सात से चौदह वर्ष तक की कैद और पाँच लाख रुपये तक का जुर्माना निर्धारित किया गया है। नाबालिग, महिला, अनुसूचित जाति/जनजाति और दिव्यांगजनों का धर्मांतरण कराने पर दस से बीस वर्ष की कैद और दस लाख रुपये तक का दंड विधान है। सामूहिक धर्मांतरण के मामलों में तो बीस वर्ष से आजीवन कारावास तथा न्यूनतम पच्चीस लाख रुपये का दंड अनिवार्य होगा। विदेशी फंडिंग से कराए गए धर्मांतरण पर भी दोषी को दस से बीस वर्ष की सजा और बीस लाख रुपये तक का दंड भुगतना होगा।
सबसे कठोर प्रावधान पुनरावृत्ति के मामलों में है। यदि कोई अपराधी बार-बार धर्मांतरण की साजिश करता पकड़ा गया तो उसे आजीवन कारावास और पचास लाख रुपये तक का दंड भोगना होगा। स्पष्ट है कि अब अवैध धर्मांतरण करने वालों के लिए बच निकलने की कोई गुंजाइश नहीं बचेगी।छद्म विवाह और संस्थाओं पर नकेल विधेयक में विवाह के माध्यम से किए गए धर्मांतरण को भी अवैध घोषित किया गया है। सामान्य तैर पर यह देखा जाता है कि विवाह को साधन बनाकर धर्मांतरण कराए जाते हैं। यह प्रावधान ऐसे प्रपंचों को रोकने में सहायक होगा। साथ ही धर्मांतरण कराने वाली संस्थाओं की संपत्ति जब्त करने और आवश्यक होने पर बुलडोजर चलाकर ध्वस्त करने का भी प्रावधान पहली बार जोड़ा गया है। यह कदम अपराधियों में भय पैदा करेगा और संगठित षड्यंत्रों की जड़ें काट देगा।
प्रशासनिक नियंत्रण
विधेयक के अनुसार धर्म परिवर्तन करने से पूर्व व्यक्ति को 90 दिन पहले जिला कलेक्टर या एडीएम को सूचना देना अनिवार्य होगा। धर्माचार्यों को भी दो महीने पूर्व नोटिस देना होगा। इस पारदर्शिता से प्रशासन को पूरी प्रक्रिया पर निगरानी रखने में आसानी होगी। वहीं, ‘घर वापसी’ यानी पूर्वजों के धर्म में लौटने को धर्मांतरण नहीं माना जाएगा। इससे समाज में भ्रम और विवाद की स्थितियों को रोका जा सकेगा। सभी अपराधों को संज्ञेय और गैर-जमानती घोषित किया गया है। इसका अर्थ है कि पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकती है और अदालत से आसानी से जमानत नहीं मिलेगी। यह सख्ती विधेयक को प्रभावी बनाने में निर्णायक सिद्ध होगी।इसके बाद हम राजस्थान को लेकर यही उम्मीद करते हैं कि इस कानून से समाज के कमजोर और वंचित वर्गों को सबसे अधिक राहत मिलेगी। अब उन्हें लालच या दबाव से धर्म परिवर्तन कराने वाले संगठनों से सुरक्षा मिलेगी। विदेशों से आने वाले संदिग्ध फंड पर भी अंकुश लगेगा। सामूहिक धर्मांतरण जैसी गतिविधियों पर रोक लगने से समाज में कृत्रिम विभाजन की प्रक्रिया रुकेगी और सामाजिक समरसता को बल मिलेगा। साथ ही यह कानून भारतीय सनातन संस्कृति की रक्षा में एक ढाल का काम करेगा। यह केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक स्थिरता की दृष्टि से भी अनिवार्य है।विधेयक का सबसे चर्चित पहलू बुलडोजर एक्शन है। यदि कोई संस्था सुनियोजित तरीके से धर्मांतरण कराती है तो उसकी संपत्ति जब्त करने और भवनों को ध्वस्त करने का प्रावधान अपराधियों में भय पैदा करेगा। यह पहली बार है जब किसी राज्य ने धर्मांतरण जैसी गतिविधि को रोकने के लिए इतने कठोर उपायों को अपनाया है। इससे यह संदेश जाएगा कि समाज और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा।
विश्व हिन्दू परिषद की भूमिका
हमारे संतों और मनीषियों ने कहा है कि धर्मांतरण एक अभिशाप है। इससे न सिर्फ एक हिन्दू कम होता है अपितु भारत के शत्रु बढ़ जाते है। गत कालखंड में ही पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान जैसे देश और उनमें बढ़ती अमानवीय, देश विरोधी व धर्म-द्रोही घटनाओं से सम्पूर्ण विश्व भली भांति परिचित है। उन सब के पीछे धर्मांतरण का खेल ही है। विश्व हिन्दू परिषद के तो जन्म के प्रमुख कारणों में से एक ‘अवैध धर्मांतरण’ ही है। इसे रोकने के लिए अनेक देशव्यापी अभियान संगठन चला रहा है। संगठन के द्वारा अब तक 40 लाख से अधिक हिंदुओं को धर्मांतरण से बचाने का कार्य हुआ है । वहीं 9 लाख से अधिक की घर-वापसी भी कराई जा चुकी है। लगभग 25 हजार हिन्दू बेटियों को लव जिहाद चंगुल से बचाने का कार्य भी किया जा चुका है। विहिप की यह पुरानी मांग थी कि राज्य में एक कठोर कानून बने। राजस्थान सरकार ने इसे स्वीकार कर समाज की आवाज को कानूनी रूप दिया है। संगठन के अनवरत प्रयासों व हिन्दू समाज की संगठित शक्ति का ही परिणाम है कि आज देश के दर्जन भर राज्यों में इसके लिए कठोर कानून बने हैं। अब धीरे-धीरे यह मांग भी बलवती हो रही है कि इसके लिए संसद में भी एक कठोरतम कानून बने जिससे माँ भारती का कोई हिस्सा इस अभिशाप का शिकार ना बन सके।
साधुवाद सरकार
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और उनकी सरकार ने जो साहसिक कदम उठाया है, वह निश्चित ही जन-भावनाओं का सम्मान है और इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। हालांकि कुछ वर्ग इस कानून की आलोचना करेंगे। वे इसे कठोर या धार्मिक स्वतंत्रता का हनन कह सकते हैं। किंतु यह समझना आवश्यक है कि यह कानून स्वेच्छा से किए गए धर्म परिवर्तन का विरोध नहीं करता। संविधान ने अनुच्छेद 25 में धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी दी है, लेकिन यह स्वतंत्रता सार्वजनिक व्यवस्था, स्वास्थ्य और नैतिकता के अधीन है। जबरन या छल-कपट से किया गया धर्म परिवर्तन न तो धार्मिक स्वतंत्रता है और न ही संवैधानिक अधिकार। यह सीधा-सीधा शोषण है और यही इस विधेयक का लक्ष्य है कि शोषण पर रोक लगे।
अंत में यही कहना है कि “राजस्थान विधिविरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2025” केवल एक कानून नहीं, बल्कि समाज की सुरक्षा और संस्कृति की रक्षा का संकल्प है। यह अवैध धर्मांतरण की जड़ों को काटकर सामाजिक एकता और राष्ट्रीय अखंडता को सुदृढ़ करेगा। आने वाले समय में यह विधेयक राजस्थान ही नहीं, पूरे देश में एक आदर्श बनेगा। आज आवश्यकता है कि समाज के सभी वर्ग इस कानून का समर्थन करें और एकजुट होकर उन ताकतों का प्रतिकार करें जो छल-कपट से समाज को बाँटने की कोशिश करती हैं। यह विधेयक वास्तव में जनभावनाओं का प्रतिबिंब और सनातन संस्कृति की रक्षा का ऐतिहासिक कदम है।

रांची। राजधानी स्थित राजभवन के समक्ष संयुक्त आदिवासी संगठन के तत्वाधान में राज्य के विभिन्न जिलों से आए हुए आदिवासी समुदाय के लोगों विभिन्न आदिवासी संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं के द्वारा कुड़मी/कुरमी/महतो जाति के लोगों द्वारा अनुचित तरीके एसटी बनने की मांग और आंदोलन की विरोध में राजभवन के समक्ष एकदिवसीय धरना प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर लोगों को संबोधित करते हुए आदिवासी नेता लक्ष्मीनारायण मुंडा ने कहा कि कुड़मी/ कुरमी/ महतो जाति के लोगों द्वारा यह मांग मूल आदिवासियों के संवैधानिक हक-अधिकारों राजनीतिक प्रतिनिधित्व - हिस्सेदारी आरक्षण ,नौकरी,जमीन और गौरवशाली संघर्षशील आदिवासी विद्रोह के इतिहास पर कब्जा करके मूल आदिवासियों को हाशिए में धकेलने की साज़िश है। ये मांगें आदिवासियों की पहचान,अस्तित्व संवैधानिक अधिकारों पर हमला है। आदिवासी नेत्री कुंदरसी मुंडा ने कहा कि कुड़मी/कुरमी/ महतो जाति की मांग और रेल टेका आंदोलन अलोकतांत्रिक गैरकानूनी है। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया है। इसके खिलाफ सरकार को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि आदिवासी समुदाय के अधिकारों पर हकमारी किसी भी सूरत में बर्दाश्त नही किया जाएगा आदिवासी आंदोलन में कभी भूमिका नही निभाने वाले लोग एसटी बनने को लालायित है जिसका विरोध किया जाएगा।निरंजना हेरेंज ने कहा कि ऐतिहासिक तथ्यों ,ब्रिटिश गेजेटियर और एसटी बनने के मानदंडों को पूरा नही करने के कारण ही 1931 की जनगणना में अंग्रेजी शासनकाल के दौरान आदिवासी नही मानकर हटा दिया गया था। इसलिए वोट बैंक दिखाकर जबरन गैर कानूनी ढंग से आंदोलन करके राजनीतिक सौदेबाजी करके एसटी बनना चाहते हैं जिसे बर्दाश्त नही किया जा सकता है। सूरज टोप्पो ने कहा कि कुड़मी/ कुरमी/महतो समुदाय के नेतागण अपनी जातिय राजनीतिक महात्वाकांक्षा को पूरी करने के लिए कुड़मी/कुरमी/ महतो जाति लोगों को झौंक रहे हैं।निशा भगत ने कहा कि इस मामले में राजनीतिक पार्टियों अपना खास तौर से भाजपा,कांग्रे, झामुमो अपनी नीतियां स्पष्ट करें। उन्होंने कहा कि भाजपा,कांग्रेस, झामुमो के नेताओं की भूमिका भी आदिवासी समाज पहचान करेगा। कांके रोड सरना समिति के अध्यक्ष डब्लू मुंडा ने कहा कि आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों का विरोध करने वाले लोगों द्वारा आज एसटी बनने की मांग करना लोभी प्रवृत्ति का परिचायक है। अमर तिर्की ने कहा कि मुगल काल, ब्रिटिश काल से लेकर आज तक जितने भी आदिवासी विद्रोह और आदिवासी आंदोलन हुए हैं ये लोग कभी शामिल नही रहे हैं। आज एसटी होने का दावा कर रहे हैं यह हास्यास्पद है।
इस कार्यक्रम में रांची, जमेशदपुर, पश्चिमी सिंहभूम,गुमला, लोहरदगा, खूंटी रामगढ़, हजारीबाग सिमडेगा, पलामू इत्यादि लोग शामिल हुए।
इस अवसर पर धरना स्थल पर आदिवासी नेता लक्ष्मीनारायण मुंडा ने चार बिंदुओं का प्रस्ताव रखा ।
1.आदिवासी समुदाय के लोगों और सभी आदिवासी संगठन कुड़मी/ कुरमी/ महतो जाति के आदिवासी अनुसूचित जनजाति एसटी बनने की मांग और आंदोलन के प्रतिवाद स्वरुप झारखंड,बंगाल,उड़ीसा के विभिन्न जगहों पर अभियान चलाते हुए जन जागरण अभियान तेज करेंगे।
2. हम सभी आदिवासी संगठनों का कहना है कि कुड़मी/ कुरमी/ महतो जाति के आदिवासी अनुसूचित जनजाति/ एसटी बनने की मांग को लेकर भाजपा,कांग्रेस, झामुमो,टीएमसी जैसे राजनीतिक पार्टियों अपनी नीतियां स्पष्ट करें।
3. कुड़मी/ कुरमी/ महतो जाति के आदिवासी/अनुसूचित जनजाति /एसटी बनने की मांग को लेकर रेल टेका डहर छेंका आंदोलन के खिलाफ केंद्र सरकार राज्य सरकार विधि सम्मत कार्रवाई करें
यह आंदोलन गैरकानूनी है तथा करोड़ों रुपये राजस्व की क्षति, लाखों यात्रियों को परेशानी में डालने वाला कदम है अन्यथा हम आदिवासी लोग समझेंगे कि यह आंदोलन सत्ता -सरकार संरक्षित,संपोषित और सामाजिक समरसता बिगाड़ कर राजनीतिक वोट बैंक के लिए सरकार प्रायोजित कार्यक्रम है।
4. एसटी सीटों से चुनाव जीतने वाले विधायक-सांसद कुड़मी/ कुरमी/ महतो जाति के आदिवासी/अनुसूचित जनजाति एसटी बनने की मांग को लेकर अपनी अपनी नीति स्पष्ट करें अन्यथा सभी एसटी विधायकों - सांसदों का विरोध किया जाएगा।
वहीं राज्य के दोनों बड़े समुदाय कुड़मी/कुरमी/ महतो और आदिवासी भाईयों से अपील की गई। जो इस प्रकार है।
1. हमारा मानना है कि कुड़मी/कुरमी महतो जाति एक मेहनतकश संघर्षशील समुदाय है। इसलिए हमारा अनुरोध है कि अपने स्वजातीय नेताओं जयराम महतो, सुदेश महतो,लंबोदर महतो जैसे राजनीति करने वालों और स्वजातीय संपन्न नवधनाढ्य् वर्ग के तथाकथित
अगुवाजनों के अनुसूचित जनजाति/ ST बनने की मांग और आंदोलन के लिए बहकावे में नही आएं। ये लोग अपने स्वार्थ और राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए आप सभी कुड़मी/कुरमी/महतो जाति समुदाय का इस्तेमाल कर रहे हैं।
2. हमारे आदिवासी समुदाय के लोगों से भी अपील है कि कुड़मी/कुरमी/ महतो जाति समुदाय के आदिवासी/अनूसूचित जनजाति/ ST बनने की मांग और आंदोलन का मर्यादापूर्वक संयमित होकर लोकतांत्रिक तरीके से तथ्यात्मक,तार्किक रुप से खंडन करते हुए विरोध करें। पूरे कुड़मी/कुरमी/ महतो जाति समुदाय को निशाना नहीं बनायें।इसके बाद चार सूत्री मांगों का ज्ञापन राज्यपाल के नाम दिया गया। जहां आदिवासी समुदाय के प्रतिनिधियों द्वारा कुड़मी/कुरमी/महतो समुदाय की ओर से हमारे संवैधानिक अधिकारों,राजनीतिक प्रतिनिधित्व,नौकरी-रोजगार, आरक्षण, जमीन और गौरवशाली इतिहास पर अनुचित तरीके से कब्जा करने की साजिश के खिलाफ एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन कार्यक्रम के माध्यम से यह ज्ञापन दिया जा रहा है। जो हमारी संस्कृति,पहचान और आजीविका को खतरे में डालने वाली गतिविधियों को रोकने हेतु निम्नलिखित चार सूत्री मांगें हैं।
1. कुड़मी/कुरमी/ महतो जाति द्वारा हमारे मूल आदिवासियों की संवैधानिक हक-अधिकारों,राजनीतिक हिस्सेदारी-प्रतिनिधित्व,आरक्षण,नौकरी और जमीन पर हकमारी करने के लिए आदिवासी/अनूसूचित जनजाति (ST) बनने की अनुचित दावों पर तत्काल रोक लगाया जाए। वहीं आदिवासियों के लिए निर्धारित विशेष संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए नीतिगत सलाह भारत सरकार को दिया जाए।
2. हम आदिवासियों को संविधान द्वारा प्रदत्त विशेष कानूनों और अधिकारों को कमजोर करने वाली किसी भी कोशिश अथवा दुरुपयोग को रोकने के लिए अनूसूचित जनजाति/एसटी आरक्षण की पात्रता की जांच को लेकर एक स्वतंत्र समिति गठित की जाए।
3. चुआड़ विद्रोह में रघुनाथ महतो,कोल विद्रोह में बुली महतो और संथाल विद्रोह में चानकु महतो जैसे नाम के छद्म नायकों को आदिवासी समुदाय के ऐतिहासिक गौरवशाली संघर्ष और योगदानों को कुड़मी/कुरमी/ महतो जाति के लोगों द्वारा अपने इतिहास के रुप में प्रस्तुत करने की साजिश को रोका जाए।
4. कुड़मी/कुरमी/ महतो जाति समुदाय द्वारा आदिवासी /अनूसूचित जनजाति (ST) बनने की मांग को लेकर असंवैधानिक और अनुचित तरीके से " रेल टेका डहर छेंका " कार्यक्रम के द्वारा रेल परिचालन रोकने, सरकारी राजस्व की क्षति पहूंचाने, यात्रियों को परेशानियों में डालने और माल ढुलाई वाहक रेलों का आवाजाही बंद करने जैसे गैर कानूनी कार्यों में शामिल लोगों पर विधि सम्मत कारवाई किया जाए।





