
राँची। जिले के बुंडू,तमाड़,सिल्ली, सोनाहातु समेत कई क्षेत्रों में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के निर्देशों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाते हुए अवैध बालू खनन और परिवहन का कार्य दिन-रात जारी है। इन इलाकों में प्रतिदिन सैकड़ों हाइवा, ट्रक और ट्रैक्टरों के माध्यम से नदियों से अवैध रूप से बालू निकाला जा रहा है। इस खनन ने जहाँ एक ओर पर्यावरण को गहरी क्षति पहुँचाई है, वहीं दूसरी ओर वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास पर भी संकट मंडराने लगा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि नदियों की सतह इतनी अधिक खोदी जा रही है कि उनका स्वरूप ही बदल रहा है। इससे प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है और वनों में विचरण करने वाले हाथियों का झुंड अपने रास्ते से भटककर गांवों की ओर रुख कर रहा है, जिससे ग्रामीणों में भय का माहौल है।
अबुआ अधिकार संघ ने दी चेतावनी
इस मुद्दे पर अबुआ अधिकार संघ ने जिला प्रशासन और खनन विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि जिला खनन कार्यालय इन अवैध गतिविधियों में या तो प्रत्यक्ष रूप से संलिप्त है या इन पर जानबूझकर आंख मूंदे हुए है। संघ का कहना है कि विभाग को अवैध व्यापार में संलिप्त प्रत्येक व्यक्ति और वाहन की जानकारी है, फिर भी कार्रवाई नहीं की जा रही।
संघ ने चेतावनी दी है कि यदि दो दिनों के भीतर इस अवैध खनन पर प्रभावी रोक नहीं लगाई गई, तो वे दिनांक 06 सितंबर 2025 को मोरहाबादी स्थित साधु प्रतिमा के समक्ष सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक एक दिवसीय धरना देंगे।
ओवरलोडिंग से सड़कें भी क्षतिग्रस्त
स्थानीय सड़कों पर ओवरलोड गाड़ियों का आवागमन लगातार हो रहा है, जिससे सड़कों की स्थिति भी बद से बदतर हो गई है। सिल्ली और सोनाहाता मार्ग पर यह गतिविधि रात के अंधेरे में ही नहीं, बल्कि दिन के उजाले में भी साफ तौर पर देखी जा सकती है।
अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर क्या ठोस कदम उठाता है, या फिर अवैध खनन का यह खेल यूँ ही चलता रहेगा।