
रांची। भगवान बिरसा मुंडा समाधि स्थल स्थित जमीन पर सरना झंडा को उतारने और गाड़ने को लेकर उत्पन् विवाद एवं दिनांक 4 ,8, 2025 को ऑल इंडिया क्रिश्चियन माइनॉरिटी फ्रंट की ओर से निशा भगत के प्रति लालपुर थाना में शिकायत दर्ज किए गए को लेकर सामाजिक संगठन सामाजिक अगुवाओं का एक आवश्यक बैठक धुर्वा सेक्टर 3 एन टाइप धूमकुड़िया प्रांगण में मेघा उरांव के अध्यक्षता में हुई।
इस बैठक में वक्ताओं ने कहा कि ऑल इंडिया क्रिश्चियन माइनॉरिटी फ्रंट के द्वारा निशा भगत पर आरोप लगाया जा रहा है कि हमारे पवित्र बाइबल पर गलत टिप्पणी और हमारे समाज को बहिष्कृत जैसे असंवैधानिक शब्दों का प्रयोग और चर्च और ग्रोटो को बुलडोजर चला कर तोड़ देंगे इस तरह का धमकी और भाषा से पूरे ईसाई समुदाय आहत हैं हमारे धार्मिक आस्था विश्वास को अपमान किया है।
इस बयान पर झारखंड आदिवासी सरना विकास समिति धुर्वा के अध्यक्ष मेघा उरांव ने कहा है कि शायद ऑल इंडिया क्रिश्चियन माइनॉरिटी फ्रंट के लोगों को पता नहीं है या तो वे अधूरा ज्ञान रखते हैं। निशा भगत जो बाइबल और कई पुस्तकों के बारे में बोली है वह सतप्रतिशत सही है कहीं से भी गलत नहीं है। इसको हम लोग कही भी प्रमाणित कर सकते हैं। मेघा उरांव ने कहा कि वर्षों से चर्च मिशनरी द्वारा आदिवासी/जनजातियों का आस्था और विश्वास पर्व त्यौहार के प्रति गलत गलत टिप्पणी लिखित और मौखिक रूप से किया जा रहा है उससे क्या आदिवासी समाज आहत नहीं है? वर्षों से इस तरह का पीड़ा को झेल रहे हैं।
जो आज निशा भगत हकीकत और सही बातों को बोल दी तो पूरे ईसाई समुदाय आहत है। जहां तक ग्रोटो और चर्च को बुलडोजर से तोड़ने की बात है तो इसको समझने का प्रयास करना चाहिए सच्चाई यह है कि ग्राम टीन टांगर पतरा टोली चैनपुर गुमला में रोमन कैथोलिक ईसाई मिशन द्वारा सरना (झखरा) स्थल जिसका खाता संख्या 104, प्लॉट नंबर 340, रकबा 2 एकड़ 56 डिसमिल सरना पूजा स्थल जमीन पर ग्रोटो और चर्च बना हुआ है जिसको हटाने के लिए कई संगठन के लोगों ने दिनांक 10, 12 2018 को उपयुक्त गुमला को ज्ञापन सौंपा था लेकिन अभी तक उस पर कोई कार्रवाई ने किया गया जबकि अंचल कार्यालय चैनपुर द्वारा प्रमाणित कर दिया गया है कि ये सरना की जमीन है। इसको हटाने के लिए फिर से उपयुक्त गुमला को ज्ञापन दिया जाएगा अगर प्रशासन इस पर कोई कार्रवाई नहीं करती है तो समाज कार्रवाई करेगा।
सनी उरांव टोप्पो ने कहा कि ये स्पष्ट हो गया है कि क्रिश्चियन क्रिश्चियन है और आदिवासी आदिवासी है क्रिश्चियन कभी आदिवासी नहीं हो सकता है और क्रिश्चियन हो करके आदिवासियों का कोई भी पर्व त्यौहार आस्था का प्रतीक झंडा इत्यादि को इस्तेमाल नहीं कर सकता है जबकि उस स्थल पर झंडा गाड़ने वाला खुद को स्वीकार किया कि हम लोग ईसाई समुदाय से हैं और जमीन बचाने के लिए सरना झंडा को गाड़े थे सवाल यह है की क्या यह जमीन कब्जा करने वाला जमीन बचाने वाला झंडा बन गया है?
जनजाति सुरक्षा मंच के संयोजक संदीप उरांव ने कहा है कि यह लड़ाई निशा भगत का नहीं है बल्कि पूरे मूल आदिवासी /जनजाति समाज की लड़ाई है और जो ऑल इंडिया क्रिश्चियन माइनॉरिटी फ्रंट द्वारा जो भी पुस्तक और बाइबल के बारे में गलत टिप्पणी बता रहे हैं उसको न्यायालय में प्रमाणित किया जाएगा। चर्च मिशनरियों का चुनौती स्वीकार है अगर अभी भी ईसाई समुदाय अपने हरकतों से बाज नहीं आए तो इस आंदोलन को पूरे देश स्तर से लड़ाई लड़ा जाएगा।
बैठा मे यह भी निर्णय लिया गया है कि धर्मांतरित ईसाइयों को आदिवासियों का कोई भी पर्व त्यौहार आदिवासियों का कोई भी प्रतीक झंडा को प्रयोग उपयोग करने नहीं दिया जाएगा। इस बैठक में मेघा उरांव,संदीप उरांव, सनी उरांव, जय मंत्री उरांव, जगन्नाथ भगत, चरवा उरांव, बिरसा उरांव, बिगल उरांव, विशु उरांव, लूथरू उरांव, बजरंग टाना भगत , अजय उरांव एवं अन्य।