
साहेबगंज। सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता सूर्या हांसदा की हत्या की सीबीआई जांच कराने एवं नगड़ी के रैयतों को रिम्स 2 के नाम पर छीनी जा रही जमीन किसानों को वापस दिलाने केलिए राज्य सरकार को निर्देशित करने के संबंध में संवेदनहीन भ्रष्ट एवं निकम्मी हेमंत सरकार में राज्य की स्थिति दिनोदिन बद से बदतर होती जा रही। राज्य की विधि व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। राज्य सरकार के संरक्षण में अपराधी, माफिया ,दलाल , बिचौलियों ने पूरे सरकारी तंत्र पर कब्जा जमा लिया है। इनका विरोध करने पर नृशंस हत्या , बिना कारण मुकदमे,धमकी ,फिरौती जैसी सजा सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं को भुगतने केलिए विवश होना पड़ रहा है। ,सरकारी रजिस्टर में दर्ज आंकड़े बता रहे की राज्य में प्रतिमाह 5000 से अधिकहत्या ,लूट,बलात्कार,डकैती जैसे गैर जमानती आपराधिक मामले घटित हो रहे।
विगत दिनों संथाल परगना के प्रसिद्ध सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता की राज्य की पुलिस द्वारा एनकाउंटर दिखाकर नृशंस हत्या कर दी गई। राज्य पुलिस जिन्हें अपराधी बता रही वे लोकतांत्रिक तरीके से राज्य में विभिन्न दलों के टिकट पर चुनाव लड़ चुके थे। सामाजिक कार्यकर्ता के नाते 250 से अधिक गरीब आदिवासी बच्चों को पढ़ाते थे।उनके भोजन,आवास की चिंता करते थे। साथ ही क्षेत्र में व्याप्त अवैध उत्खनन, पत्थरों की तस्करी का विरोध करते थे जो माफिया तत्वों को पसंद नहीं था।
स्व सूर्या हांसदा पर कोई वारंट नहीं था। 14 मुकदमों में वे बरी हो चुके थे, 5 पर जमानत मिल गई थी । बावजूद इसके राज्य की पुलिस इन्हें अपराधी बताकर घर से उठाती है, टॉर्चर करती है और फिर गोली मार देती है जो पूरी तरह से स्पष्ट है। और यही कारण है कि पुलिस ने मीडिया को भी फर्जी इनकाउंटर की जानकारी नहीं दी। इससे साफ है कि यह एनकाउंटर नहीं हत्या है। क्षेत्र की जनता, उनके परिजन स्व सूर्या हांसदा एनकाउंटर मामले की जांच सीबीआई से कराना चाहते है लेकिन हेमंत सरकार राज्य की एजेंसी के माध्यम से लीपापोती में जुटी है।
एक तरफ राज्य में आदिवासियों की हत्याएं हो रही वही दूसरी ओर आदिवासी रैयतों की नगड़ी में खेतिहर जमीन को रिम्स 2 के नाम पर राज्य सरकार किसानों को उजाड़ने पर अड़ी हुई है।
नगड़ी की उपर्युक्त जमीन को अधिग्रहित करने का प्रयास 1955 में तत्कालीन बिहार सरकार ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय केलिए करने का प्रयास किया था जिसे प्रबल विरोध के कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री ने नगड़ी आकर जमीन नहीं लेने की घोषणा की थी।तब से रैयतों के नाम मालगुजारी रसीद काटी जाती रही। वर्ष 2012 में फिर एकबार झारखंड सरकार ने जमीन का अधिग्रहण किया और फिर से प्रबल विरोध के बाद सरकार ने प्रक्रिया रोक दी।परन्तु तब से मालगुजारी रसीद नहीं काटी जा रही। ऐसे में किसान अपनी जमीन को लेकर सशंकित हैं।
अबुआ राज की डुगडुगी पीटने वाले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार में आदिवासी लूटे भी जा रहे और पीटे भी। रोज हत्याएं हो रही।बहन बेटियां भी सुरक्षित नहीं हैं।प्रदेश भारतीय जनता पार्टी ने आदिवासी जमीन की लूट और सूर्या हांसदा की हत्या को लेकर सड़क से सदन तक लगातार आंदोलन किया है , लेकिन राज्य सरकार कान में तेल डालकर सोई हुई है आप राज्य के संवैधानिक प्रमुख के साथ साढ़े तीन करोड़ जनता के अभिभावक हैं। इसलिए प्रदेश भाजपा के कार्यकर्ता पूरे प्रदेश में प्रखंड स्तर पर प्रदर्शन करते हुए आपसे गुहार लगा रहे। आज प्रखंड विकास पदाधिकारी के माध्यम से भाजपा के कार्यकर्ता आपसे अनुरोध करते हैं कि जनहित में ,राज्य हित में दोनों मुद्दों को आप गंभीरता पूर्वक संज्ञान में लें तथा स्व सूर्या हांसदा की हत्या की सीबीआई जांच कराने तथा नगड़ी में रैयतों को उनके जमीन को वापस दिलाने हेतु राज्य सरकार को निर्देशित करने की कृपा की जाए मांग पत्र को सौंपने के लिए राजमहल के पूर्व विधायक अनंत ओझा रामानंद साह धर्मेंद्र कुमार अनंत सिंन्हा संजय कुमार चांदनी देवी डब्लू ओझा गणेश तिवारी चंद्रभान शर्मा और सैकड़ो कार्यकर्ता उपस्थित थे।