लोहरदगा । सोमवार 06 अक्टूबर 2025 को लोहरदगा जिला मुख्यालय में आदिवासी छात्र संघ, केंद्रीय सरना समिति, स्वशासन पड़हा व्यवस्था, और जिला राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा के संयुक्त नेतृत्व में एक विशाल आदिवासी जन आक्रोश रैली का आयोजन किया गया। इस रैली का मुख्य उद्देश्य कुरमी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) कोटा में शामिल किए जाने की मांग के विरोध में जनमत तैयार करना और सरकार तक आदिवासी समाज की भावनाओं को पहुंचाना था।
रैली का आरंभ BS कॉलेज परिसर, लोहरदगा से हुआ और यह बरवाटोली चौक, अलका सिनेमा, पावरगंज चौक होते हुए कचहरी मोड़ से होते हुए समाहरणालय मैदान तक पहुँची। रैली में हजारों की संख्या में आदिवासी युवक-युवतियाँ, महिलाएं और पुरुष पारंपरिक पोशाकों में, हाथों में सरना झंडा और पारंपरिक अस्त्र-शस्त्र लिए शामिल हुए। पूरे मार्ग में गूंजते नारों ने जनआंदोलन को जीवंत बना दिया। प्रमुख नारे थे –
• “एक तीर एक कमान, सभी आदिवासी एक समान”
• “कुरमी आदिवासी बनना बंद करो”
• “आदिवासी एकता जिंदाबाद”
रैली के समापन पर समाहरणालय मैदान में एक सभा का आयोजन किया गया। सभा के माध्यम से माननीय राज्यपाल, झारखंड के नाम एक ज्ञापन उपायुक्त लोहरदगा को सौंपा गया, जिसमें यह आग्रह किया गया कि किसी भी स्थिति में कुरमी समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल न किया जाए। ज्ञापन में कहा गया कि यह प्रयास आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों, आरक्षण व्यवस्था और सामाजिक अस्तित्व के खिलाफ है।
सभा को संबोधित करते हुए आदिवासी छात्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील उरांव ने स्पष्ट कहा कि, “कुरमी समुदाय न तो कभी आदिवासी था, न है और न रहेगा। यह समुदाय सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से आदिवासी समाज से भिन्न है। ST कोटा में शामिल होने का उनका प्रयास आदिवासी समाज के अधिकारों पर कुठाराघात है।” उन्होंने आरोप लगाया कि यह एक राजनीतिक साजिश है, जिसके तहत झारखंड की मूलवासी-आदिवासी पहचान को मिटाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है।
आदिवासी छात्र संघ के महासचिव फूलचंद उरांव ने चेतावनी भरे स्वर में कहा – “यह आग का दरिया है, हमें तैरकर पार करना है – डूबना नहीं, डुबाना है।” वहीं जिला अध्यक्ष श्री अवधेश उरांव ने कहा, “झारखंड के आदिवासी अपने हक और अधिकार के लिए किसी भी बलिदान को तैयार हैं। हमें एक सूत्र में बंधकर इस संघर्ष को आगे बढ़ाना होगा।”
सभा में अन्य वक्ताओं – रघु उरांव (केंद्रीय सरना समिति अध्यक्ष), सोमदेव उरांव (सरना प्रार्थना सभा अध्यक्ष), जातरू उरांव (स्वशासन पड़हा सचिव), प्रोफेसर वरुण उरांव, पंकज भगत, महादेव उरांव, अमित उरांव, लकेश तिर्की, संतोष उरांव, मनीष मुंडा, देवेंद्र भगत, संजय गंझू, वेसराम उरांव आदि ने भी अपने विचार रखते हुए कहा कि यह आंदोलन झारखंड के आदिवासी अस्मिता की रक्षा के लिए जरूरी है।
DSPMU के अध्यक्ष विवेक तिर्की भी इस जनआंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल रहे और युवा नेतृत्व को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सभा के अंत में जिला महासचिव फूलचंद उरांव ने रैली में शामिल सभी संगठनों, युवाओं, महिलाओं, बुजुर्गों, छात्र-छात्राओं, समाज के अग्रणी नेताओं को धन्यवाद ज्ञापित किया। साथ ही जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन को भी इस शांतिपूर्ण और सफल रैली के आयोजन में सहयोग देने के लिए आभार प्रकट किया।