
रांची। हेमंत सरकार की ओर से झारखंड विधानसभा में मानसून सत्र के तीसरे दिन झारखंड राज्य विश्वविद्यालय विधेयक 2025 को पास करा लिया । अब राज्यपाल की मंजूरी के बाद नियम लागू हो जाएगा। विधेयक में मुख्य रूप से विश्वविद्यालय कुलपति की नियुक्ति राज्यपाल मनोनयन से होती थी। अब राज्य सरकार के द्वारा नामित चयन कमेटी करेगी, इसके बाद से नियुक्ति में काफी बदलाव देखने को मिलेगा, अब तक विश्वविद्यालय से संबंधित फैसला राज भवन में राज्यपाल की अनुमति से किए जाते थे, लेकिन अब राज्य के विश्वविद्यालय के सभी फसलों में राज्य सरकार की सहमति अनिवार्य होगी और उनके द्वारा चयन समिति ही सभी मामलों में निर्णय लेगी। अब राज्यपाल कुलाधिपति के रूप में पद को सुशोभित करेंगे । बाकी सभी निर्णय प्रति कुलपति के रूप में उच्च शिक्षा तकनीकी मंत्री पद पर आसीन होंगे और उनके ही निर्णय के अनुसार चयन समिति विश्वविद्यालय के सभी अधिकार और कार्यों को देखेगी और फैसला लेगी।
विधेयक 2025 के मुख्य प्रावधान निम्नलिखित हैं:
नियुक्ति का अधिकार: अब कुलपतियों, कुलसचिवों, परीक्षकों और वित्तीय सलाहकारों की नियुक्ति राज्यपाल के बजाय मुख्यमंत्री और राज्य सरकार के नियंत्रण वाली चयन समिति द्वारा की जाएगी। चयन समिति में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के अपर सचिव या प्रधान सचिव अध्यक्ष होंगे, जबकि यूजीसी का प्रतिनिधि और कुलाधिपति द्वारा नामित प्रतिनिधि भी सदस्य होंगे।
झारखंड विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन : शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति और पदोन्नति के लिए आयोग का गठन किया जाएगा। इसका मुख्यालय रांची में होगा और यह उच्च शिक्षा विभाग के अधीन कार्य करेगा। आयोग में अध्यक्ष और तीन अन्य सदस्य होंगे, जिनकी नियुक्ति राज्य सरकार करेगी।
एकरूपता : सभी विश्वविद्यालयों के लिए एक समान नीतियाँ और संरचनाएँ लागू होंगी, जिससे प्रशासनिक जटिलताएँ दूर होंगी। इससे उच्च शिक्षा व्यवस्था में समरुपता और पारदर्शिता आएगी।
सीनेट की अध्यक्षता: अब सीनेट की अध्यक्षता प्रो-कुलपति या उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री करेंगे। इससे विश्वविद्यालय के प्रशासन में सुधार होगा।
विश्वविद्यालय सेवा आयोग की भूमिका: आयोग विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सभी पदों के लिए नियुक्ति और पदोन्नति का निर्णय लेगा। इससे नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी आएगी और झारखंड के लोगों को नौकरी के अवसर मिलेंगे ।