
रांची : राज्य में सरकारी डॉक्टरों की कमी को दूर करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार को राजधानी रांची स्थित झारखंड मंत्रालय (प्रोजेक्ट भवन) में 170 डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र सौंपे। इनमें से 70 डॉक्टरों की नियुक्ति झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) के माध्यम से की गई है, जबकि 100 डॉक्टरों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत अनुबंध पर नियुक्त किया गया है।
इस मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य है कि अंतिम व्यक्ति तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधा पहुंचे और इसके लिए चिकित्सकों की नियुक्ति लगातार की जा रही है। उन्होंने कहा कि एक मजबूत और सुलभ स्वास्थ्य सेवा प्रणाली विकसित करना सरकार की प्राथमिकता है।
पहली बार इतनी बड़ी संख्या में डॉक्टरों की नियुक्ति
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने इस ऐतिहासिक अवसर को झारखंड के लिए “सबसे बड़ा दिन” करार दिया। उन्होंने कहा कि राज्य गठन के बाद पहली बार इतनी बड़ी संख्या में डॉक्टरों की नियुक्ति हुई है। यह स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूती देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि “अब समय है कि डॉक्टरों को सम्मान मिले, उनका मनोबल बढ़े। मैंने पिछले सात महीनों में इस दिशा में एक लंबी लकीर खींची है। डॉक्टरों की प्रतिष्ठा बहाल करना हमारा उद्देश्य है।”
डॉ. अंसारी ने आगे बताया कि स्वास्थ्य विभाग में कुल 10,000 कर्मियों की नियुक्ति की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा कि “हमारा प्रयास है कि हर गांव, हर पंचायत तक डॉक्टर और स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचें। लोग महसूस करें कि झारखंड में भी एक मजबूत स्वास्थ्य व्यवस्था मौजूद है।”
उन्होंने यह भी जानकारी दी कि आने वाले समय में रिम्स-2 की स्थापना के साथ-साथ छह नए मेडिकल कॉलेज भी खोले जाएंगे। जब तक मेडिकल कॉलेज नहीं बनते, तब तक डॉक्टर तैयार नहीं होंगे। इसलिए शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों क्षेत्रों को समान रूप से सशक्त किया जा रहा है। साथ ही, रांची समेत राज्य के सभी सदर अस्पतालों को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में भी गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवा मिल सके। डॉ. अंसारी ने कहा कि “एक डॉक्टर 10,000 लोगों को स्वास्थ्य सेवा दे सकता है, ऐसे में 170 डॉक्टरों की नियुक्ति लाखों लोगों को राहत पहुंचाने वाली है।
यह नियुक्ति पत्र वितरण न केवल झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था को नई दिशा देगा, बल्कि आम जनता में विश्वास भी जगाएगा कि सरकार उनके स्वास्थ्य को लेकर गंभीर है।