
साहिबगंज । जिले के महाराजपुर गदाई दियारा जाने के क्रम में गंगा नदी में नाव डूब गई थी घटना के 24 घंटे बाद गोताखोर के द्बारा रविवार को गंगा नदी से 2 और शव बाहर निकाला गया. रविवार की सुबह बीडीओ सह सीओ मो युसूफ, रिवर थाना प्रभारी लव कुमार, सीआई राजमहल एवं गौताखोर अर्जुन मंडल उधवा, संदीप मंडल अनुमंडल एवं सुरेश मंडल राजमहल गदाई दियारा गंगा घाट पहुंचकर गोताखोर के द्बारा खोजबीन शुरू किया कुछ देर बाद ही लापता शव कहा हांसदा एवं शाम बास्की का शव गंगा नदी से निकाला दोनों शव को महाराजपुर गंगा तट लाया गया जहां परिजन शव को देखते ही दहाड़ दहाड़ कर रोने लगा. वहीं मौके पर पहुंचे एसी साहेबगंज ने मृतक के परिजनो हो मुलाकात कर उन्हें हौसला बांधा, आसपास के लोगों से कहा कि गंगा का जल स्तर बढ़ोतरी पर है आने जाने में सावधानी बरतनी की अपील की. विदित हो शनिवार को पतना प्रखंड के झुमुर बांध से 17 की संख्या में चूहा का शिकार करने के लिए गदाई दियारा महाराजपुर गंगा नदी से छोटा नाव में सवार हो कर दियारा की ओर जा रहे थी कि कुछ दुरी जाने के बाद ही नाव गंगा में डुब गया. जिसमें करीब 28 लोगों सुरक्षित तैरते हुए बाहर निकल गया नाव में सवार झुमुर बांध के राजू मुर्मु 25वर्ष, कृष्णा सोरेन 30 वर्ष, कहा हांसदा 39 वर्ष एवं शाम बास्की 25 वर्ष गंगा में डुब गया नाव डुबने के तुरंत बाद राजू मुर्मू का शव गंगा नदी से निकाला जबकि कृष्णा सोरेन के शव गौताखोर के द्बारा काफी खोजबीन के बाद घंटों बाद गंगा नदी से बाहर निकाल लिया गया,वहीं देर शाम खोजबीन करने के पश्चात भी लापता दो लोगों का शव नहीं मिल पाया जबकि रविवार को गोताखोर के द्बारा खोजबीन करने के बाद कुछ देर बाद कहा हांसदा एवं शाम बास्की का शव को भी गंगा नदी से बाहर निकाला गया और दोनों शव को गंगा रिवर थाना पुलिस द्बारा पोस्टमार्टम के लिए साहेबगंज अस्पताल भेज दिया गया.
कैसे घटी घटना
शनिवार की सुबह रांगा थाना क्षेत्र अंतर्गत एक गांव से 17 लोगों ग्रामीणों का एक दल गदाई दियारा नाव से जा रहा था इसी क्रम में नाव पर अत्यधिक लोग सवार होने एवं तेज बहाव के कारण गंगा नदी में नाव डूब गई नाव में कुल 32 लोग सवार थे जिसमें 28 लोग तैर कर बाहर निकल गए मौके पर चार लोग लापता हो गए वही डूबे सभी लोग आदिवासी समुदाय से थे सभी बाढ़ की पानी होने के कारण चूहा मारने के लिए गदाई दिया जा रहे थे इसी क्रम में यह घटना घटी चूंकि बाढ़ प्रभाव के कारण चूहा का शिकार करने आदिवासी समाज दियारा में जाते है।